21 अप्रैल, 2010

सच्चा मित्र

केवल जज्बातों में बह कर ,
उसको तुम क्या जानोगे ,
यदि वक्त पर आया काम ,
तभी उसे पहचानोगे ,
दुर्योधन ने निजी स्वार्थ वश ,
कर्ण को अपना मित्र बनाया ,
अंग देश का दिया राज्य ,
पर सच्चा मित्र ना बन पाया ,
दुनिया में सब कुछ मिलता है ,
पर असली मित्र ना मिल पाता ,
वह बहुत भाग्यशाली है ,
जो सच्चे दोस्त को पा जाता ,
अच्छे के सारे साथी हैं ,
अपना प्यार जताते हैं ,
यदि बुरा वक्त आ जाये ,
सब कन्नी काट चले जाते हैं ,
बुरे समय में जो अपनाये ,
ग़लत सही की पहचान कराये ,
सही राह पर ले कर आये ,
सच्चा मित्र वही कहलाये ,
हर अच्छे और बुरे समय में ,
मन से पूरा साथ निभाये ,
सरल सहज और पारदर्शी हो ,
मन की भाषा पढ़ना चाहे,
पर्दे की ओट से भी ,
जो सहज पहचाना जाये ,
कृष्ण सुदामा की मिसाल बन ,
तुम पर अपना सर्वस्व लुटाये ,
ऐसे मित्र की तलाश में ,
ज़ज्बातों का काम नहीं ,
समय बहुत प्रबल होता है
इसका तुम्हें अहसास नहीं
जिस दिन सच्चा मित्र मिलेगा
मन से तुमको अपनायेगा
सच्चा मित्र वही होगा
जो सही राह दिखलायेगा |


आशा

5 टिप्‍पणियां:

  1. सच्चा मित्र वही होगा ,
    जो सही राह दिखलाएगा |
    BAHUT KHOOB MUMMY JI
    PAR SACHHE MITRA AAJ KAL BAHUT HI MUSKIL SE MILTE HAI

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  2. ये सच है कि सच्चा मित्र वही होगा जो सच्ची राह दिखाएगा परन्तु इस आपाधापी के महासागर मेँ सच्चा मित्र कहां से आएगा?खैर! आपकी कविता अच्छी है! बधाई हो!

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  3. बिल्कुल सही कहा है आपने ! लेकिन एक तो सच्चे मित्र का मिलना ही दुर्लभ है और यदि मिल भी जाये तो जीवन भर के लिये उसका साथ मिल पाना तो नितांत असंभव है ! इसलिए जीवन तो अपने बलबूते पर और स्वविवेक के सहारे ही काटना होगा ! एक अच्छी और सुखद रचना !

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  4. दुनिया में सब कुछ मिलता है ,
    पर असली मित्र ना मिल पाता ,
    वह बहुत भाग्य शाली है ,
    जो सच्चे दोस्त को पा जाता ,

    सच कह आपने ....वही सच्चा भग्यशाली होता है

    http://athaah.blogspot.com/

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