10 मई, 2010

विश्वास

ऐ विश्वास जरा ठहरो ,
मुझसे ना नाता तोड़ो ,
जीवन तुम पर टिका हुआ है ,
केवल तुम्हीं से जुड़ा हुआ है ,
यदि तुम्हीं मुझे छोड़ जाओगे ,
अधर में मुझे लटका पाओगे ,
मेरा सम्बल कौन बनेगा ,
सारी विपदा कौन हरेगा ,
पूर्ण रूप से आश्रित तुम पर ,
तुम ही मेरे जीवन के धन ,
विश्वास यदि तुम खो जाओगे ,
मेरा सब कुछ ले जाओगे ,
मन का चैन तिरोहित होगा ,
अनास्था का समुंदर होगा ,
अडिग प्रेम के सारे बंधन ,
तार-तार हो जायेंगे ,
जीवन के अनेक रंग ,
सारे फीके पड़ जायेंगे ,
तुम प्रस्तर की मजबूत नींव ,
जीवन की बुनियाद तुम्हीं ,
सार्थक जीवन आश्रित तुम पर ,
सफल जीवन की माँग तुम्हीं ,
ऐ विश्वास यहीं ठहरो ,
मन में अविश्वास न भरने दो ,
वह मुझे नहीं जीने देगा ,
नहीं सत्य को सहने देगा |


आशा

6 टिप्‍पणियां:

  1. एक बहुत अच्छी रचना पर आपको बधाई

    http://sanjaykuamr.blogspot.com/

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  2. अच्छा विषय विश्वास जो बहुत जरुरी या कहूँ अति आवश्यक है

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  3. bahut sundar abhivyakt kiya sach kaha vishwaas mare to kuch nahi bachta jeevan me...

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  4. यदि तुम्हीं मुझे छोड़ जाओगे ,
    अधर में मुझे लटका पाओगे ,
    मेरा सम्बल कौन बनेगा ,
    सारी विपदा कौन हरेगा

    'विश्वास' पर बड़े ही विश्वास के साथ आपने ... इस सुन्दर रचना की रचना की है ...अच्छी कविता ..शुक्रिया आशा जी ..आपकी अगली प्रस्तुति की प्रतीक्षा में ....

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  5. बड़ी प्यारी कविता है ! जीवन में विश्वास कितना ज़रूरी है और हमारे मनोबल को बढाने के लिए कितना महत्वपूर्ण है इसे जताती हुई एक सुन्दर प्रस्तुति ! बधाई एवं आभार!

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