11 मई, 2010

यादें बचपन की


जब अतीत पर नजर पड़ी
भूली बिसरी यादों से जुड़ी
बचपन की याद सताने लगी
छुटपन की वे प्यारी यादें
निश्छल चंचल मीठी बातें
प्रथम वृष्टि की पहली बूँदें
खिली धूप में जल की बूँदें
मन प्रसन्न हो जाता था
आँगन में खेलना भाता था |
पानी में छप-छप और बरसातें
पन्ना फाड़ कॉपी से अपनी
कागज़ की छोटी नाव बनाना
उसको पानी में तैराना
साथ कश्ती के दूर तक जाना |
नाव यदि गल जाये तो
नाराज़गी मन की दिखलाना
हर एक बात याद आने लगी
फिर बचपन में पहुँचाने लगी |
फिर मन पहुँचा उस बगिया में
घंटो जहाँ खेला करते थे
झूलों पर झूला करते थे
कभी बेंच पर बैठे-बैठे
उड़ती चिड़िया देखा करते थे
धरती पर पड़े रंगीन पंख
कॉपी में सहेजा करते थे |
रंगीन पंख पत्थर और कागज़
बड़ा खज़ाना होते थे
बार-बार उनको दिखलाना
बस्ते में फिर उन्हें छुपाना
मन आह्लादित करता था
स्फूर्ति से मन भरता था |
पास ही एक छोटा तालाब
था जल से भरा रहता
वहाँ कई मछलियाँ रहती थी
वे भी मेरी परिचिता थीं |
बूँद हवा की लेने आतीं
कुछ क्षण सतह पर दिख जातीं
जल्दी से फिर डुबकी लेकर
पानी में नीचे बैठ जातीं
आगे पीछे ऊपर नीचे
तैर कर आगे बढ़ जाना
छोटा सा एक समूह बनाना
कैसे साथ रहा जाता है
सारी दुनिया को दिखलाना
मै भूल नहीं पाती बचपन
ऐसा था वो प्यारा जीवन
प्रथम पाठशाला जीवन की
कितनी बातें सिखा गई
सही राह दिखा गई |

आशा

12 टिप्‍पणियां:

  1. lag raha hai mera bachpan aapki kalam me ghusa ho...sab yaad dila diya...dhanyawad...

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  2. मैं तो वैसे ही अपने बचपन को मिस करता हूँ, ऊपर से आपने और याद बढ़ा दी.
    आपकी रचना ने मेरी तड़प को बढ़ा दिया हैं.
    बहुत बढ़िया.

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  3. बचपन की यादें होती ही हैं जो गुदगुदा कर चली जाती हैं और कुछ पल का सुकून दे जाती है।

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  4. आपने फिर से बचपन में लौटने को मजबूर किया.....

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  5. बहुत ही शानदार रचना ! एक एक शब्द यादों का खज़ाना है और स्मृतियों के तिलस्म को खोल कर बचपन की वीथियों में पहुँचा देता है ! इतनी सुन्दर कविता के लिए बधाई और आभार !

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  6. दिल के भीतर छुपे एहसासों को उकेरती हुई रचना.
    बधाई

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  7. bahut atmiyata ka aabhas hua aapke blog par aakar........
    lagata hai mai pahile bhee aaee hoo shayad aapne mahngaee aur atithee ko lekar kuch likha tha jo dil ke bahut kareeb laga tha..........
    bahut sunder abhivykti.

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  8. बचपन तो सबको याद आता है और रुला भी जाता है....आपकी रचना पढ़कर कुछ देर के लिए हम भी वहीं लौट गए जहां वास्तव में कभी जाय नहीं जा सकता.....

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  9. bachpan...
    aur bachpan ki khoobsurat yaadeiN
    in sb ko shabdoN ka rochak libaas pehnaya hai aapne...ek ek pal jaise tasveer bn kr saamne aa khadaa hua ho ...
    abhivaadan svikaareiN .

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  10. मै भूल नहीं पाती बचपन ,
    ऐसा .
    बहुत अच्छा लिखा है आपने था वो प्यारा जीवन

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