29 मई, 2010

अहंकार

अहंकारी खो देता सम्मान ,
ओर विवेक भी करता दान ,
"सब कुछ है वह"यही सोच ,
दूसरों का करता अपमान ,
अहंकार जन्मजात नहीं होता ,
कमजोरों पर ही हावी होता ,
अहम् भाव से भरा हुआ वह ,
सब को हेय समझता है ,
यह भाव यदि हावी हो जाये ,
मनुष्य गर्त में गिरता है,
अहंकार से भरा हुआ वह ,
उस घायल योद्धा सा है ,
जो कुछ भी कर नहीं सकता ,
पर जीत की इच्छा रखता है ,
अहम् कोई हथियार नहीं ,
जिसके बल शासक बन पाये ,
स्वविवेक भी साथ ना दे पाये ,
तर्क शक्ति भी खो जाये ,
जो अहम् छोड़ पाया ,
सही दिशा खोज पाया ,
सफल वही हो पाया ,
यह कहावत सच्ची है ,
घमंडी का सिर नीचा होता है ,
समय अधिक बलवान है ,
सही सीख दे जाता है |


आशा

5 टिप्‍पणियां:

  1. सत्य को उद्घाटित करती सुन्दर, सशक्त व सार्थक रचना।

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  2. बहुत से गहरे एहसास लिए है आपकी रचना ...

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  3. मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है
    क्या गरीब अब अपनी बेटी की शादी कर पायेगा ....!
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com/2010/05/blog-post_6458.html

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  4. बहुत ही सशक्त और शिक्षाप्रद
    रचना ! काश लोग इससे कुछ सीख ले पाते ! बहुत सुन्दर !

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  5. बहुत सही लिखा है ... हाथ जोड़कर प्रणाम

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