अहंकारी खो देता सम्मान ,
ओर विवेक भी करता दान ,
"सब कुछ है वह"यही सोच ,
दूसरों का करता अपमान ,
अहंकार जन्मजात नहीं होता ,
कमजोरों पर ही हावी होता ,
अहम् भाव से भरा हुआ वह ,
सब को हेय समझता है ,
यह भाव यदि हावी हो जाये ,
मनुष्य गर्त में गिरता है,
अहंकार से भरा हुआ वह ,
उस घायल योद्धा सा है ,
जो कुछ भी कर नहीं सकता ,
पर जीत की इच्छा रखता है ,
अहम् कोई हथियार नहीं ,
जिसके बल शासक बन पाये ,
स्वविवेक भी साथ ना दे पाये ,
तर्क शक्ति भी खो जाये ,
जो अहम् छोड़ पाया ,
सही दिशा खोज पाया ,
सफल वही हो पाया ,
यह कहावत सच्ची है ,
घमंडी का सिर नीचा होता है ,
समय अधिक बलवान है ,
सही सीख दे जाता है |
आशा
सत्य को उद्घाटित करती सुन्दर, सशक्त व सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत से गहरे एहसास लिए है आपकी रचना ...
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंक्या गरीब अब अपनी बेटी की शादी कर पायेगा ....!
http://sanjaybhaskar.blogspot.com/2010/05/blog-post_6458.html
बहुत ही सशक्त और शिक्षाप्रद
जवाब देंहटाएंरचना ! काश लोग इससे कुछ सीख ले पाते ! बहुत सुन्दर !
बहुत सही लिखा है ... हाथ जोड़कर प्रणाम
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