04 मई, 2010

अनुपम छटा प्रकृति की

रात चाहे कितनी लम्बी हो
इसके बाद सुबह होती है
बाल सूर्य की प्रथम किरण
अंधकार को धो देती है |
मंद हवा का स्पंदन
खुशबू से भरता उपवन
फूलों से गंध चुरा लाया
सारे उपवन को महकाया |
बाल सूर्य की स्वर्णिम किरणें
चारों ओर बिखरने लगीं
मन बंजारा ठहर गया
स्वर्णिम आभा में सराबोर हुआ |
प्रकृति की रंगीन छटा
अंतस में घर करने लगी
अरुणाई समस्त व्योम की
अपनी बाँहों में भरने लगी|
अमलतास के  फूलों से
पीली धरती पीला उपवन
पुष्प गुच्छों में स्पंदन
उनमें से किरणों का विचरण |
रंग बिरंगे फूलों से
सजा हुआ पूरा उपवन
मन भावन दृश्य उभरने लगा
अंतरमन में सिमटने लगा |
सूरज की किरणों का
स्वागत करता पूरा मधुवन
मन प्रफुल्लित हो जाता है
प्रकृति में रमता जाता है |
चिड़ियों का कलरव उड़ना उनका
मन के तारों को छूने लगा
मन झंकृत होने लगा
यह अद्भुत छटा प्रकृति की
अनुपम देन वन देवी की |


आशा

3 टिप्‍पणियां:

  1. खुशनुमा सुबह का बेहद मनभावन चित्रण ! बहुत सुन्दर और मन को प्रफुल्लित कर देने वाली अभिव्यक्ति !

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  2. वाह .....Mummy जी गज़ब का लिखतीं हैं आप .......!!

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