08 जुलाई, 2010

नर्मदा उदगम स्थल

सैयाद्री पहाड़ियों से ,
हरी भरी वादी में ,
नर्मदा उदगम स्थल देखा ,
ऊँची पहाड़ियों से ,
जल धाराओं का आना देखा ,
जब पड़ी प्रथम किरण सूरज की ,
सुंदरता को बढते देखा ,
प्रकृति नटी के इस वैवभ को ,
दिगदिगंत में फैलते देखा ,
यह अतुलनीय उपहार सृष्टि का ,
है मन मोहक श्रंगार धारा का ,
दृष्टि जहां तक जाती है ,
उन पहाड़ियों में खो जाती है ,
धवल दूध सी धाराएं ,
कई मार्गों से आती हें
सब एकत्र जब हो जाती हैं
कल कल स्वर कर बहती हें
बहते जल की स्वर लहरी ,
गुंजन करती वादी में ,
अद्भुद संगीत मन में भरता है ,
मुझे प्रफुल्लित कर देता है ,
हल्की हल्की बारिश भी ,
वहां से हटने नहीं देती ,
मन स्पंदित कर देती है ,
रुकने को बाध्य कर देती है ,
बिताया गया वहां हर पल ,
कई बार खींचता मुझको ,
मन करता है घंटों अपलक ,
निहारती रहूं उसको ,
वह हरियाली और जल की धाराएं ,
अपनी आँखों में भर लूं ,
फिर जब भी आँखें बंद करूं ,
हर दृश्य साकार करूं |
आशा


,

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर शब्द चित्र खींचा है आपने अपनी रचना में ! मैंने तो आपकी रचना के माध्यम से ही नर्मदा के उस उद्गम स्थल के साक्षात दर्शन कर लिये ! सुन्दर चित्रण ! बधाई !

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  2. IS SUNDAR STHAN PAR JAANE KE LIYE EK YATRA VIVRAN BHEE LIKHIYE.

    V K V

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