03 अक्तूबर, 2010

वह नहीं जानता ,

अनेक दर्द दिल में छिपाए उसने ,
है ऐसा क्या उन में ,
बांटने से भी डरता है ,
उन पर चर्चा,
से भी हिचकता है ,
कई बार लगता है ,
बांटने से दिल का बोझ ,
किसी हद तक कम हो सकता है ,
पर यदि वह ना चाहे ,
कोई क्या कर सकता है ,
शायद वह नहींसीख पाया ,
मिलजुल कर रहने की आदत ,
नहीं पहचान पाया ,
जीवन में उसकी जरूरत ,
यही कारण दीखता है ,
किसी से साँझा नही करता ,
खुद भी अकेला रहता है ,
गम के दरिया में बहता रहता है ,
उदासी पीछा नहीं छोडती ,
वीरान जिंदगी लगती है ,
आवश्कता मित्रों की ,
महत्व उनके होने का ,
जब वह समझ पाएगा ,
विचारों का सांझा करेगा ,
तब बोझ दिल पर ना होगा ,
मित्रों में बात जाएगा ,
वह प्रसन्न रह पाएगा |
आशा

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही मार्मिक कविता...
    मन को छू लेने वाली कविता लिखी है आपने। बधाई।

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  2. बहुत सुंदर कविता. मित्रों और स्वजनों में बांटने से ही दुख कम होता है और सुख दो गुना होता है ।

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  3. प्रेरक रचना। बातें बांटने से मन हलका हो ही जाता है। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
    आयी हो तुम कौन परी..., करण समस्तीपुरी की लेखनी से, “मनोज” पर, पढिए!

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  4. बहुत अच्छा लिखा है आपने ! मित्रों का जीवन में सदैव महत्वपूर्ण स्थान होता है ! जो उनसे कतरायेगा अकेला ही रह जाएगा और अपने गम का बोझ भी उठा नहीं पायेगा !
    सुन्दर प्रस्तुति ! बधाई !

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