05 जनवरी, 2011

अब तो तलाश है

जीवन की तेज़ रफ्तार ,
अब रास नहीं आती ,
ऊँची नीची पगडण्डी पर ,
चल नहीं पाती ,
कारण जानती हूँ ,
पर स्वीकारती नहीं ,
हैं कमियाँ अनेक ,
समझती हूँ सब ,
पर अनजान रहती हूँ ,
प्रतिकार नहीं करती ,
क्यूँकि सच का सामना ,
कर नहीं पाती ,
कुछ करने की,
ललक तो रहती है ,
पर जीवन की शाम ,
और यह थकान ,
मन की हो ,
या हो तन की ,
पूर्ण होने नहीं देती ,
असफल होते ही ,
मन खंड-खंड हो जाता है ,
एक बवंडर उठता है ,
भूचाल सा आ जाता है ,
जीवन के आखिरी पड़ाव का ,
अहसास घेर लेता है ,
लाभ क्या ऐसे जीवन का ,
विचार झझकोर देता है ,
मन विचलित हो जाता है ,
गिर कर उठना सहज नहीं है ,
अब तो है तलाश,
मुक्ति मार्ग की |


आशा

9 टिप्‍पणियां:

  1. arre "Di" abhi se aisee baat...:(
    abhi to aapko meelo chalna nahi daurna hai...:)
    aur ham jaiso ko marg-nirdeshit bhi karna hai..

    waise agar poem ki content ki baat kahun to sach
    me behatareeen....")

    जीवन के आखिरी पड़ाव का ,
    अहसास घेर लेता है ,
    लाभ क्या ऐसे जीवन का ,
    विचार झझकोर देता है ,
    मन विचलित हो जाता है ,
    गिर कर उठना सहज नहीं है ,
    अब तो है तलाश,
    मुक्ति मार्ग की |

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  2. aap hamare blog pe bahut kam aati hai, ye meri aapse vinati hai, aayen, aur sirf comment na karen, kamiyan nikalne...:)

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  3. ---सुन्दर कविता आशाजी...पर---
    "लाभ क्या ऐसे जीवन का ,
    विचार झझकोर देता है--"--यदि इस विचार से, मुक्ति का विचार आता है तो यह मुक्ति का मार्ग नहीं...अपितु हताशा का है, मुक्ति सम्भव नहीं है......वास्तविक मुक्ति सहज़ भाव से---"जो मिला अच्छा मिला और क्या मांगूं तुझसे..." के भाव से अन्तर्द्वन्द्व मुक्त होने पर ही मिलती है....

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  4. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार !
    सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है

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  5. आशा माँ, क्या इस मुक्ति को मुक्ति कहा जा सकता है, कहते हैं कि आत्मा अमर है तो क्या तन की मुक्ति से मन की आत्मा की मुक्ति संभव है ? नहीं न, हौसला दीजिये हमें भी और खुद भी बढ़ते रहिये निरंतर .......... अविरल ...

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  6. bahut sundar abhivyakti kintu yadi utsahpoorn hoti to alag hi bat hoti aap ki udas kavita ne jhakjhor diya aur bhavishay ke prati chintit kar diya.aap kushalta se bhavon ki abhivyakti karti hain to mukti marg jeevantta me khijiye..

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  7. बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति है

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  8. सत्यपथ की राह दिखने वाली सुन्दर रचना!

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  9. असफलता सफलता के लिये और गिरना पुन: उठने और चलने के लिये प्रेरणा स्वरुप होना चाहिए पलायन के लिये नहीं ! क्षमा कीजिये रचना का शिल्प तो अच्छा लगा पर कथ्य नहीं ! आशा है अगली रचना आपके नाम के अनुरूप होगी !

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