27 जनवरी, 2011

बहुत साम्य दिखता है

बहुत साम्य दिखता है
सागर में और तुझ में
कई बार सोचती हूँ
कैसे समझ पाऊँ तुझे |
सागर सी गहराई तुझ में
मन भरा हुआ विचारों से
उन्हें समझना
बहुत कठिन है
थाह तुम्हारी पाऊँ कैसे |
पाना थाह सागर की
फिर भी सरल हो सकती है
पर तुझे समझ पाना
है बहुत कठिन |
थाह तेरे मन की पाना
और उसके अनुकूल
ढालना खुद को
है उससे भी कठिन |
मुझे तो सागर में और तुझ में
बहुत समानता दिखती है
सागर शांत रहता है
गहन गंभीर दिखता है |
पर जब वह उग्र होता है
उसके स्वभाव को
कुछ तो समझा जा सकता है
किया जा सकता है
कुछ संयत |
उसकी हलचल पर नियंत्रण
कुछ तो सम्भव है
पर तेरे अंदर उठे ज्वार को
बस में करना
लगता असंभव
पर हर्ज क्या
एक प्रयत्न में
दिल के सागर में
डुबकी लगाने में
उसकी गहराई नापने में
यदि एक रत्न भी मिल जाए
उसे अपनी अँगूठी में सजाने में |

आशा

12 टिप्‍पणियां:

  1. सर्वप्रथम मेरे ब्लॉग पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .अपने आशिर्वचनो से ऐसे ही मार्गदर्शन देते रहिएगा .कुछ गलत लगे तब भी ज़रूर अवगत कराईयेगा .आप बड़ी हैं आपकी टिपण्णी का मुझे इंतज़ार रहता है .
    आपकी रचनाओं में जीवन का तजुर्बा झलकता है -कई रचनाओं से बहुत सीखने को मिलता है .मुझे आपका ब्लॉग बहुत पसंद है .मैं आपको ज़रूर पढ़ती हूँ .-इस कविता में भी कितने अच्छे से आपने समझाया है की अक्सर मन को समझाना मुश्किल होता है.फिर भी कोशिश करने में कोई हर्ज़ नहीं है . .

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  2. यदि एक रत्न भी मिल जाए
    उसे अपनी अंगूठी में सजाने में
    bahut achche.

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  3. बहुत सुन्दर ! मानव मन और सागर की गहराई का यह तुलनात्मक विश्लेषण बहुत अच्छा लगा ! 'जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठि'! इतनी सारगर्भित रचना के लिये बधाई एवं आभार !

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  4. बेहतरीन कविता ... कमाल के मनोभाव उतारे हैं आपने हमेशा की तरह ......

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  5. मन के भावों की लाजवाब अभिव्यक्ति।

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  6. बहुत खूबसूरत कविता आशा जी ...

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  7. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार !
    ........कमाल के मनोभाव उतारे हैं

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  8. ब्लॉग जगत में पहली बार एक ऐसा सामुदायिक ब्लॉग जो भारत के स्वाभिमान और हिन्दू स्वाभिमान को संकल्पित है, जो देशभक्त मुसलमानों का सम्मान करता है, पर बाबर और लादेन द्वारा रचित इस्लाम की हिंसा का खुलकर विरोध करता है. साथ ही धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कायरता दिखाने वाले हिन्दुओ का भी विरोध करता है.
    आप भी बन सकते इस ब्लॉग के लेखक बस आपके अन्दर सच लिखने का हौसला होना चाहिए.
    समय मिले तो इस ब्लॉग को देखकर अपने विचार अवश्य दे
    .
    जानिए क्या है धर्मनिरपेक्षता
    हल्ला बोल के नियम व् शर्तें

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