06 अप्रैल, 2011

तस्वीर उजड़े घर की



बहारों ने दी थी दस्तक
इस घर के दरवाजे पर
पैर पसारे थे खुशियों ने
छोटी सी कुटिया के अंदर |

लाल जोड़े मैं सजधज कर
जब रखा पहला कदम ,
अनेक स्वप्न सजाए थे
आने वाले जीवन के |
था मेंहदी का रंग लाल
प्यार का उड़ता गुलाल ,
सारे सुख सारे सपने
सिमट गए थे बाहों में |
वह मंजर ही बदल गया
जब झूमता झामता वह आया ,
गहरी चोट लगी मन को
जब यथार्थ सामने आया |
कारण जब जानना चाहा
उत्तर था बड़ा सटीक ,
रोज नहीं पीता हूँ
खुश था इसी लिए थोड़ी ली है |
पीने का क्रम ,
गम गलत करने का क्रम
अनवरत बढ़ता गया
सामान तक बिकने लगा |
हाला का रंग ऐसा चढ़ा
पीना छूट नहीं पाया ,
रोज रोज कलह होती थी
रात भर ना वह सोती थी |
बिखर गए सारे सपने
अरमानों की चिता ज़ली
कल्पनाएँ झूठी निकलीं
बस रह गयी यह
तस्वीर उजड़े घर की |

आशा







10 टिप्‍पणियां:

  1. काश पीने वाले समझें की उनके पीने से दूसरों पर क्या असर पड़ रहा है |
    सीख देती हुई रचना .

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  2. पीना छूट नहीं पाया ,
    रोज रोज कलह होती थी
    रात भर ना वह सोती थी |
    बिखर गए सारे सपने

    यही हाल होता है जब कोई व्यक्ति अपनी आदतों को नहीं छोड़ पाता किसी के अरमान बिखर जाते हैं

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  3. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार !
    .....काश पीने वाले समझें

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  4. पीने का क्रम ,
    गम गलत करने का क्रम
    अनवरत बढ़ता गया... pinewalon ko pine ka bahana ... ghar phir kahan ! use to pi jata hai aadmi

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  5. पीने का क्रम ,
    गम गलत करने का क्रम
    अनवरत बढ़ता गया
    aur dookhon ki shuruaat ho gayee.....kash kuch log prerna le pate....

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  6. ऐसे किसी के घर के उजडने का दृश्य साकार हो गया ..

    अरमानों की चिता जाली
    कल्पनाएँ झूटी निकलीं

    जाली -- जली

    झूटी -- झूठी कर लें ..

    सार्थक सन्देश देती रचना

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  7. संगीता जी ,नमस्ते
    बहुत बहुत धन्यवाद गलती सुधरवाने के लिए |इसी प्रकार सुधार करवाती रहें |साधना भी यही करती है |आपकी
    आशा

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  8. जी हाँ!
    आपने बहुत सटीक रचना लिखी है!
    अति तो सभी चीज की बुरी होती है!

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  9. कटु यथार्थ को साकार करती बहुत ही सारगर्भित प्रस्तुति ! बहुत ही प्रेरणादायी रचना ! काश पीने वाला इंसान अपने स्वजनों की पीड़ा को भी कभी महसूस कर पाता ! आँखें खोलने वाली रचना के लिये बधाई एवं शुभकामनायें !

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