15 जनवरी, 2012

क्यूँ न वर्तमान में जी लें

बैठे आमने सामने देखते
 बनती मिटती कभी सिमटतीं 
आती जाती लकीरें चेहरों पर
मुस्कान  ठहरती कुछ क्षण को 
फिर कहीं तिरोहित हो जाती 
भाव भंगिमा के परिवर्तन
परिलक्षित करते अंतर मन |
वे सब भी क्षणिक लगते 
होते हवा के झोंके से 
जो आए ले जाए 
उन  लम्हों की नजाकत को 
लगते कभी  स्वप्नों से 
प्रायः  जो सत्य नहीं होते 
कुछ पल ठहर विलुप्त होते |
भिन्न नहीं  है दरिया भी 
बहता जल उठाती लहरें 
टकरा कर चट्टानों से 
मार्ग ही बदल देते 
अवरोध  को नगण्य मान 
बहती जाती अविराम 
पर  चिंतित, कब जल सूख जाए 
अस्तित्व  ही ना गुम हो जाए 
यही  सोच पल भर मुस्काते 
सुख दुःख तो आते जाते
है जीवन क्षणभंगुर 
क्यूँ न वर्त्तमान में जी लें |
आशा 









 



21 टिप्‍पणियां:

  1. गहन ...सुंदर अभिव्यक्ति ...बहुत अच्छी लगी आपकी रचना ...

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  2. kyun na vartman me jee le kavita ke madhyam se bahut shreshth baat kahi hai.bahut sundar.shubhkamnayen.

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  3. इस सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.

    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधार कर अपना स्नेहाशीष प्रदान करें

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  4. सुन्दर भावाभिव्यक्ति के लिये बधाई स्वीकार करें ! बहुत अच्छी प्रस्तुति !

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  5. वर्तमान मे जिएंगे तभी सुखी रहेंगे।

    बहुत अच्छा लिखा है आंटी।

    सादर

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  6. बहुत ही उत्तम रचना|मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें।

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  7. बहुत सुंदर संदेश...मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ!

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  8. सुन्दर शब्दावली, सुन्दर अभिव्यक्ति.

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  9. यही सोच पल भर मुस्काते
    सुख दुःख तो आते जाते
    है जीवन क्षणभंगुर
    क्यूँ न वर्त्तमान में जी लें |

    बहुत सुन्दर प्रेरक रचना के लिए आभार...

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  10. सुंदर रचना।
    जीवन को जिंदादिली से जीने का संदेश.....

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  11. जो भी है बस यही पल है जिसमें हम हैं , बहुत पते कि बात है जिसे याद रखना कठिन है .

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  12. कल 17/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  13. यही सोच पल भर मुस्काते
    सुख दुःख तो आते जाते
    है जीवन क्षणभंगुर
    क्यूँ न वर्त्तमान में जी लें |very nice.

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  14. "" क्यूँ न वर्त्तमान में जी लें |""

    अति सुन्दर पक्तियां ,

    वाह बहुत उम्दा . आपकी रचना पढ़वाने के लिए धन्यवाद शुभकामनायें

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  15. सकारात्मकता को कहती अच्छी प्रस्तुति

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  16. सकारात्मकता लिए बहुत ही उम्दा रचना |

    मेरे भी ब्लॉग में पधारें और मेरी रचना देखें |
    मेरी कविता:वो एक ख्वाब था

    जवाब देंहटाएं

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