20 अगस्त, 2013

राखी

(१)
यह शगुन साध का धागा 
किसी पर थोपा नहीं गया 
केवल प्यार का बंधन है 
यूं ही बांधा नहीं गया |
 (२)
रिश्ता तो रिश्ता है
हो चाहे बंद लिफाफे में
या राखी भाई की कलाई में
पर रहे सदा ही वरदहस्त
बहना के सर पर |
(३)
समय के साथ
सब बदल गया
पहले सा उत्साह
 भी है  अब कहाँ
है अब तो रस्म अदाई
मंहगाई की मार से
 गहन उदासी छाई  |
आशा


17 टिप्‍पणियां:

  1. सही लिखा आपने, महंगाई ने किसी को नही बख्शा, शुभकामनाएं.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  2. समय के साथ
    सब बदल गया
    पहले सा उत्साह
    भी है अब कहाँ
    ***
    सो तो है, पर बनी रहेगी धागे से जुड़ी संवेदनाएं!

    शुभकामनाएं!

    जवाब देंहटाएं
  3. रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
    -----------------------

    कल 21/08/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  4. सही बात...
    रक्षा बंधन के पावन पर्व पर आपको शुभकामनाएँ..
    :-)

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर

    रक्षाबंधन की ढेर सारी शुभकामनाएं !!!

    जवाब देंहटाएं
  6. महंगाई की मार तो है पर फिर भी प्रेम थोड़ा नहीं होना चाहिए ...
    रक्षा बंधन की बधाई ओर शुभकामनायें ...

    जवाब देंहटाएं
  7. खूबसूरत रचना ! रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें और बधाइयाँ !

    जवाब देंहटाएं
  8. समय के साथ
    सब बदल गया
    पहले सा उत्साह
    भी है अब कहाँ
    है अब तो रस्म अदाई
    मंहगाई की मार से
    गहन उदासी छाई,,,,

    बहुत सुंदर सृजन ,,,
    RECENT POST : सुलझाया नही जाता.

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुंदर

    रक्षाबंधन की ढेर सारी शुभकामनाएं ....

    जवाब देंहटाएं
  10. बेहतरीन .सुन्दर अभिव्यक्ति.हार्दिक बधाईयां.रक्षाबंधन की ढेर सारी शुभकामनाएं .

    जवाब देंहटाएं
  11. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: