13 अप्रैल, 2013

नव गीत

है प्रेरित
 नव विचारों से 
ना ही बंधा
 किसी बंधन से 
है उद्बोधक 
सरल सहज 
नव सोच का 
उत्साह से परिपूर्ण 
नव गीत 
नव विधा में
चेतना जागृत करता 
भाव मधुर
 मुखरित होते 
सत्य से 
पीछे न हटते 
सद विचारों से
घट भरता
जब छलकता
 बहकता
हर तथ्य 
उजागर करता
है सोच
 युवा वर्ग का
चेतना है 
जाग्रति है 
अभिव्यक्ति है |
जन मानस का 
समस्त सोच
 समाहित होते
इस में 
परिलक्षित होते
नव गीत के रूप में |





09 अप्रैल, 2013

नव वर्ष

आप सब को नव वर्ष के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएं यहाँ नव वर्ष कैसे मनाया जाता है देखिये :-

नव संवत्सर का प्रथम दिवस
घर घर सजे दरवाजे 
साड़ी की गुड़ियों से 
  शुभ कामनाएं दे रहे परस्पर 
प्यार से गले मिल कर 
नौ दिन तक उपवास करते 
महिमा गाते दुर्गा माँ की 
जौ,तिल घी लौंग की आहुति दे
 हवन करते
वायुमंडल की शुद्धि करते
पूरम पूरी ,गुजिया और
देते प्रसाद चने की दाल का 
सौहाद्र का इजहार करते 
कच्चे आम की कैरी का पना 
लगता बड़ा स्वादिष्ट
आज भी है परम्परा इस दिन
सुबह नीम की कोपल खाने की
हल्दी कुमकुम  देने की 
भर गोद आशीष लेने की |
नव वर्ष हो शुभ  सभी को 
कामना है यही 
हर बरस से अच्छा हो्
सद ्भावना है यही |

वैसे तो यह परम्परा महाराष्ट्र की है पर यदि सब लोग इतनी खुशियाँ इसी प्रकार बांटे तो जितना आनंद मिलेगा शायद कम हो |
आशा



07 अप्रैल, 2013

मन की पीर

अनाज यदि मंहगा हुआ ,तू क्यूं आपा खोय |
मंहगाई की मार से बच ना पाया कोय ||
 
कोई भी ना देखता , तेरे मन की पीर  |
हर वस्तु अब तो लगती ,धनिकों की जागीर ||

रूखा सूखा जो मिले ,करले तू स्वीकार |
उसमें खोज खुशी अपनी ,प्रभु की मर्जी जान ||
 
पकवान की चाह न हो ,ना दे बात को तूल |
चीनी भी मंहगी हुई ,उसको जाओ भूल ||

वाहन भाडा  बढ़ गया , इसका हुआ प्रभाव  |
भाव आसमा छु रहे ,लगता बहुत अभाव  ||

इधर उधर ना घूमना ,मूंछों पर दे ताव  |
खाली यदि जेबें रहीं ,कोइ न देगा भाव  ||

भीड़ भरे बाजार में ,पैसों का है जोर  |
मन चाहा यदि ना मिला , होना ही है बोर ||

आशा