25 अप्रैल, 2013

सुकून खो गया


मैं खोती तो दुःख न होता
राह खोज ही लेती 
मंजिल तक पहुँच मार्ग 
 बना ही लेती |
पर हूँ परेशान इसलिए 
कि मेरा सुकून खो गया है 
अकारण मन बहुत 
बेचैन हो गया है |
अब तो मुस्कुराने पर भी 
अधिभार लगता है
बाहर कदम बढाने पर 
परमिट लगता है |
यदि भूली कोइ प्रमाणपत्र
बहुत शर्म आती है 
पढ़े लिखे होने  का तमगा
 चूंकि माथे पर लगा है |
मुझसे तो वे ही अच्छी हैं 
जो हैं निपट गंवार 
आत्म बल तो है उनमें 
भय नहीं स्वतंत्र विचरण में |
खोखली मान्यताओं ने 
निर्बल बना दिया 
सुकून भी खोज न पाई
जाने कहाँ भूल आई |
आशा



23 अप्रैल, 2013

बदलाव

गर्मीं में ये सर्द हवाएं  
कितनी अजीब लगतीं 
बेमौसम की बरसातें
जीवन अस्तव्यस्त करती |
खेतों में सूखा अनाज था 
सारा गीला हो गया 
किसान की चहरे की  खुशी 
अपने साथ ही निगल गया |
बीमारी ने धर दबोचा
छोटे बड़े सभी को
मौसम में बदलाव 
रास न आया सब को |
जाने क्या है प्रभु की मर्जी 
शान्ति नहीं रहती 
कुछ न कुछ होता रहता है 
सुखानुभूति नहींहोती |
मौसम बदला तेवर बदले
आम आदमी के पर
मन तैयार न हो पाया
हर शय से जूझने को |
आशा