12 फ़रवरी, 2014

सच

रिसती आँखें
छलकता पैमाना
सच बताते|

खुली खिड़की
कुछ छिपता नहीं
है सच यही |


हो सच्चा प्यार
सत्य हो उजागर
समय थमे |


यमुना तीरे
किया सांध्य वंदन
मन स्पन्दित |


यमुना जल
प्रवाहित दीपक
अद्भुद द्दृश्य |


नफ़रत पली
दूरियां पलीं बढीं
  रहा न  प्यार |

आशा


6 टिप्‍पणियां:

  1. फूलों की पाँखुरी ,
    रंग-रंग रच दे कोई
    नई-सी बात री १

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  2. सुन्दर सार्थक सशक्त हाइकू ! चित्रों के साथ उनकी सम्प्रेषणीयता और बढ़ गयी है ! बहुत बढ़िया !

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  3. सुन्दर हाइकू ,,

    खुली खिड़की
    कुछ छिपता नहीं
    है सच यही |

    जवाब देंहटाएं

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