28 जुलाई, 2014

आवारा बादल

 
आवारा  बादल 
कहाँ से आया 
कहाँ जाएगा
किसी ने न जाना |
किस पर थी निगाह 
यह तो बता जाता
मन आंदोलित ना होता
अस्तव्यस्त न होता  |
होगा महरवान 
तभी तो बरसेगा 
अब कोई  बहाना न बनाना
अपना जलवा दिखाना |
मौसम बड़ा सुहाना 
बाहर निकले तब जाना
हरे भरे उपवन 
सरोवर जल से लबालब|
तेरी आवारगी
 थी एक बहाना 
 तुझे यहीं आना था
सब का संताप मिटाना था |


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your reply here: