18 अगस्त, 2016

खुशबू


खुशबू अनोखी के लिए चित्र परिणाम

भीनी भीनी सी सुगंध
जैसे ही यहाँ आई
तुम्हारे आने की खबर
यहाँ तक ले आई
हम जान लेते हैं
तुम्हें पहचान लेते है
अनोखी सुगंध है
अनोखा एहसास है
हजारों में भी
सब से अलग
तुम लगती हो
यही खुशबू बन गई है
परिचय तुम्हारी
उसके बिना तुम
अधूरी सी लगती हो
वह भीनी खुशबू
तुममें समा गई है
तुम्हारे जाने के बाद भी
कुछ समय महक
बनी रहती है
यही महक
प्रफुल्लित कर जाती है
तुम्हारी उपस्थिति
दर्ज करा जाती है |
आशा



16 अगस्त, 2016

न जाने क्यूं



आज न जाने क्यूं
एकांत की चाह में
बहुत दूर निकल आई
रंगीनिया वादियों की
यहाँ तक खींच लाईं
विविध रंगों की झांकी
देख आँखें नहीं थकतीं
मन लौटने का न होता
वहीं ठहरना चाहता
यह बड़ा सा पुल
और पास की हरियाली
आगे की राह नहीं सूझती
पर व्योम की छटा ने
कमी पूरी करदी
नीली चादर ओढ़ धरा
अधिक ही प्यारी लगती |
बड़ा पुल हरियाली के बीच के लिए चित्र परिणाम
आशा

14 अगस्त, 2016

पन्द्रह अगस्त

मिली स्वतंत्रता पंद्रह अगस्त को
स्वतंत्र देश के हैं नागरिक
आजादी कितनी मुश्किल से मिली 
अब कुछ भी याद नहीं 
कुर्वानी   देश  के लिए जिसने दी
अब किताबों तक सीमित रह गई 
राष्ट्रीय त्यौहार मनाने की 
रस्म अदाई बच रही 
अब तो इतना ही याद है 
आजादी हमारा है अधिकार 
इस पर कोई न डाका डाले 
हैं लड़ने मरने को तैयार 
अपने अधिकार सुरक्षा को 
जब आजादी मिली थी 
कुछ दाइत्व भी सोंपे गए  थे 
वे सब कहाँ खो गए 
एक भी याद न रख पाए 
अधिकार सुरक्षा में ऐसे खोए 
कर्तव्य पालन भूल  गए 
राष्ट्र ध्वज के तलेआज भी 
कोई प्रतिज्ञा लेते हैं 
पर कैसे पूरी की जाएं 
यह तक नहीं सोचते 
यही मानसिकता देश को 
आगे बढ़ने नहीं देती 
अर्ध विकसित तब भी था 
आज भी वहीं है |
आशा