23 मार्च, 2017

फूलों की होली


रंग में भीगा
भीगा सा दीख रहा
रंगा हुआ पलाश
अपने ही फूलों से
भास्कर की किरणों ने
किया सराबोर उसे
प्राकृतिक नारंगी रंग से
अब फूलों की
बहार है तैयार 

गुल गैंदा संग
होली खेलन को
भक्त भी तैयार
अपने राधा किशन से
फूलों की होली
खेल रहे भक्त
मथुरा में राधा रमण से |
आशा


22 मार्च, 2017

बांसुरी कान्हां की

प्रश्न अचानक
 मन में आया 
राधा ने जानना चाहा 
है यह बांस की बनी
 साधारण सी बांसुरी
पर अधिक ही प्यारी क्यूं है 
  कान्हां तुम्हें  ?
इसके सामने मैं  कुछ नहीं 
मुझे लगने लगी 
अब तो यह सौतन सी 
जब भी देखती हूँ  उसे 
विद्रोह मन में उपजता 
फिर भी बजाने को 
उद्धत होती 
जानते हो क्यूं ?
शायद इसने 
अधर तुम्हारे चूमे 
उनका अमृत पान किया 
तभी लगती बड़ी प्यारी 
जब मैंने इसे चुराया 
बड़े जतन  से इसे बजाया 
स्वर लहरी इसकी
तुम्हें बेचैन कर गई
की मनुहार कान्हा तुमने 
इसे पाने के लिए 
मैं जान गई हूँ
इसके बिना तुम हो अधूरे
यह भी अधूरी तुम्हारे बिना 
चूंकि यह है तुम्हें प्यारी 
मुझे भी अच्छी लगने लगी |
आशा





19 मार्च, 2017

मौसम चुनावी



रहा मौसम चुनाव का
प्रत्याशियों की धमाल का
यह जब हाथापाई तक पहुंचा
ना शर्म रही न लिहाज रहा
वक्त भी क्या कमाल आया है
पहले जो न देखा आज देखा है
आवाज लाउडस्पीकर की
किसी को सोने नहीं देती
यह तक भूल जाते हैं
कि कहीं कोई बीमार है
या परीक्षा का समय है
बस धमाल ही धमाल है
शिक्षा दें भी तो किसे
कभी अनुशासन जाना नहीं
यही जब नेता होंगे
क्या विरोधी क्या सत्ता धारी
लोक सभा विधान सभा में
अखाड़े का आनंद देंगे
ऐसा उत्पात मचाएंगे
कान बहरे होने लगेंगे
आपस में तालमेल नहीं
भीतर क्या बाहर क्या
ये देश को क्या सम्हालेंगे
वक्त भी क्या कमाल आया है
देश पर संकट का साया है |
आशा