16 जनवरी, 2018

अलाव


सर्द हवाओं के झोंकों से
 ठण्ड बढ़ी  ठिठुरते लोग
सड़क पार तम्बू में ठहरे 
फटे बिस्तर में दुबके लोग 
पर बच्चों की चंचल वृत्ति 
खींच लाई उन्हें सड़क पर 
जल्दी-जल्दी निकालीं
 छोटी-छोटी लकड़ियाँ
पोलीथीन में रखी सूखी पत्तियाँ
माचिस जलाई  आग लगाई 
की बहुत मशक्कत अलाव जलाने में 
धीरे-धीरे सुलगा अलाव 
धुआँ उठा लौ निकली 
चमकने लगे सुलगते अंगारे 
और बढ़ने लगी थोड़ी-थोड़ी गर्मी 
आ गयी चेहरों पर सुर्खी 
बच्चों के प्रयत्नों की ! 
जब आई बच्चों की आवाज़ 
झाँक कर बाहर देखा 
फेंकी चादर निकले बाहर 
देख कर जलता अलाव !
हुआ गर्व बालकों पर 
उनकी सूझ बूझ से
 कुछ तो राहत पाई 
आते जाते हाथ सेंकते 
सड़क पर चलते लोग 
और बढ़ जाती बच्चों की 
आँखों में चमक और अधरों पर मुस्कान ! 


आशा सक्सेना 



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