23 अगस्त, 2019

हाईकू






१-जिए जाते हैं
मन पर है  बोझ 
कैसे उतारें 

२-मन भारी है
दुर्दशा देख कर
देश बेहाल

३-स्वतंत्र देश
पर सुकून कहाँ
जिसे खोजते

३-मन में शोक
गहन उपजता
व्यवस्था देख

आशा |

22 अगस्त, 2019

हथकड़ी



बंधे  हाथ दोनो
समाज के नियमों से
है बंधन इतना सशक्त 
तिलभर भी नहीं  खसकता
कोई इससे बच  नहीं पाता 
यदि बचना भी चाहे तो
वह नागपाश सा कसता  जाता
यदि कोई इससे भागना चाहता 
भागते भागते हार जाता
पर कभी यह प्यारा भी लगता
सामाजिक बंधन बने हुए
कुछ नियमों से
हित छिपा होता इनमें
समाज के उत्थान का
हूँ एक सामाजिक प्राणी
वहीं मुझे जीना मरना है
तभी तो भाग नहीं पाती इससे
खुद ही बाँध लिया  है
इसमें अपने को  
अपनी मन मर्जी से  |
आशा


20 अगस्त, 2019

शिला









पति कोप से हुई  श्रापित
शिला हुई  गौतम नारी बेचारी
युग बीता अहिल्या बनी साक्षी
 उस काल की घटनाओं की
कितनी ऋतुएँ आई गईं
शिला पर परत गर्त की चढ़ती गई
इस रूप में जीते जीते वह हारी
 तब निदान   जानना चाहा
तभी ऋषी ने उपाय बताया
त्रेतायुग में जब श्री राम के
चरण रज शिला पर पड़ेगे 
तभी उसे श्राप से मुक्ति मिलेगी
और समय बीता
 वह उस  काल की साक्षी हुई   
राम नाम के जाप से
 वह राम में खो गई
हार नहीं मानी उसने
 पथरा  गईं आँखें  बाट जोहते  
जैसे ही  प्रभु राम के
 चरण पड़े शिला पर
माथे पर चरण रज लगी
अहिल्या श्राप  मुक्त हो गई
 फिर से सजीव  नारी हो गई |
आशा

19 अगस्त, 2019

क्षणिकाएं



१-कितनी मुश्किल में हैं
तब भी खिलखिलाते हैं
सभी गम भूल जाते हैं
तेरी एक मुस्कान  पर  |

२-दो नयना तेरे लगते हों ऐसे
जैसे हों छलकते प्याले शराब के
लगता है सिमट आया है
सारा मयखाना यहीं पर |

३-सभी सुकून पा रहे
डूब कर जाम में
और और की रत लगा रहे
जाम  खाली  ले हाथों में  |

४-छलके  जाम पर जाम इस प्रकार
   मानों  कोई बंदिश नहीं थी उन पर
 दुनिया की   समस्याओं से दूर कर रहा 
उन से मुक्त हो नया कुछ लिख रहा |

आशा