02 जनवरी, 2014
01 जनवरी, 2014
30 दिसंबर, 2013
नया कुछ करना है
सुस्वागतम
ए नव वर्ष आज
खिले सुमन
नव बर्ष शुभ और मंगलमय हो |
नव रस में भीगा
नव रस में भीगा
नव वर्ष आने को है
नया कुछ करना है
आने वाले के स्वागत में |
आगे कदम बढ़ाना
जीवन से सीखा है
सुख दुःख होते क्षणिक
उनको बिसराना है |
कई अनुभव किये संचित
बीते वर्षों में
उनको ही आधार मान
कुछ विशिष्ट
करना है |
जो भी हो नवल
प्रेरक प्रोत्साहक
उसे सहेज कर
प्रसारित करना है |
यह अनुभवों की धरोहर
कुछ नया कराएगी
नवरसों का स्वाद
सब में जगाना है |
आने को है नया साल
अभिनव प्रयोग करना है
नव वर्ष का अभिन्दन
सब भूल कर करना है |
आशा
आशा
29 दिसंबर, 2013
27 दिसंबर, 2013
हाइकू (४)
प्यार का इज़हार
या उपकार |
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उपकार का
यदि सिलसीला हो
कृपण न हो
(२)
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उपकार का
यदि सिलसीला हो
कृपण न हो
(२)
पहली बारिश सी
सूखा न रहा |
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रहा अधूरा
जीवन तेरे बिन
सूना ही रहा
(३)
बेरंग तेरे बिना
कुछ भाए ना |
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भाए ना यह
रंग भरी ठिठोली
तुम आजाना |
(4)
बिखरी यादें
समेटने की चाह
है गलत क्या|
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क्या बिगड़ता
यदि समझी होती
मन की बात |
(५)
कठिन राह
पहुँच न पाऊंगा
हो चाँद तुम |
(५)
बहती जाती
नौका मझधार में
हो पार कैसे |
(4)
बिखरी यादें
समेटने की चाह
है गलत क्या|
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क्या बिगड़ता
यदि समझी होती
मन की बात |
(५)
कठिन राह
पहुँच न पाऊंगा
हो चाँद तुम |
(५)
बहती जाती
नौका मझधार में
हो पार कैसे |
बहता जल
है तरंगित मन
हरीतिमा सा |
आशा
है तरंगित मन
हरीतिमा सा |
आशा
25 दिसंबर, 2013
गुणों की टोकरी
वह नाजुक नन्ही कली
लगती गुणों की टोकरी
हर पुष्प जिसका
सुरभि चहु दिश फैलाता
है किसकी सुगंध अधिक
मन सोच नहीं पाता
और विशिष्ट उसे बनाता |
माता पिता उसे सवारते
विकास में सहयोग करते
रूप रंग गुणों का
बखान करते नहीं थकते |
जो भी संपर्क में आता
बिना कहे न रह पाता
हैं कितने भाग्यशाली
ऐसी सुशीला को पाया
है धन्य उसकी जननी
गुण संपन्न उसे बनाया
जिस घर की वह शोभा होगी
बड़े
जतन से सहेजेगा
फूलों की टोकरी को
बिखरने नहीं देगा |
आशा |
22 दिसंबर, 2013
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