02 नवंबर, 2014

अकूत संपदा




कब तक समेटोगे
कुदरत के करिश्मों को अपनी बाहों में
विपुल संपदा सिमटी है
उसकी पनाहों में
कहीं गुम न हो जाना
घने घनेरे हरे वनों में
किसी छवि पर मोहित हो कर
आसान न होगा बाहर आना
कहती हूँ मुझे साथ ले लो
जब एक से दो होंगे
खतरा तो न होगा
 राह भटक जाने का
तुम न जाने किस घुन में रहते हो
अपनी सोच में डूबे से
हंसते हो मुस्कुराते हो
अचानक उदासी का दामन थाम लेते हो
तुम्हें कैसे कोई  समझ पाए
अच्छा नहीं  लगता 
यह उदासी का आलम
कुछ सोच कर  फिर सिमेट लेती हूँ
अपनी स्वप्नजनित 
 अदभुद तस्वीरों को
जाने कब तुम आकर सांझा करोगे
मेरे संचित इस धन को
हसोगे हँसाओगे
जीवन के रंग लौटाओगे
बांटोगे अपने संचित अनुभव
और कोई न होगा हमारे बीच |

31 अक्तूबर, 2014

उदासी



कुछ रहा ही क्या कहने को
जब गम का साथ है |
जाने क्यूं रूठी बैठी है
बिन बात उदास है |
तुझे समझना आसान नहीं
पर कोशिश तो की थी |
निगाहों से उसे  गिरा दिया
यह कैसी बात है |
एक मौक़ा तो दिया होता
यदि अपना समझती |
तू मीत उसकी होती
उसे अपना कह्ती |
अपनत्व तुझे हरपल मिलता
यूं उदास न रहती |
प्यार की ऊष्मा पा 
खुश सदा रहती |
आशा

29 अक्तूबर, 2014

कुशल चितेरा



है तू कुशल चितेरा
कई रंग भरता सृष्टि में
जो आँखों को रास आते
हंसते हंसते रुला जाते |
न जाने क्यूं बहुत खोजा
 कोई रंग तो ऐसा हो
जो उससे मेल न खाता हो 
उस में ही घुल जाता हो |

पर एक भी ऐसा न मिला
प्रयत्न आज भी है अधूरा
यह तेरी कूची का  कमाल
या संयोजन बेमिसाल |
हर रंग है कुछ ख़ास 
दीवाना बना जाता 
एक ही धुन लग जाती
 सब में तू ही नजर आता |

कभी एहसास नहीं होता 
 कोई  कमी रही है शेष
सब ऐसे घुल मिल गए है
सृष्टि रंगीन कर गए हैं |
यही चाहत रहती  हर पल
इन रंगीन लम्हों को जियूं
तेरी  अदभुद कृतियों को 
अंतस में सहेज कर रखूँ |
है तू  कुशल चितेरा 
मन पर छा गया है 
दिल् चाहता है 
क्यूँ न तेरी आराधना करूं
तुझ में ही समा जाऊं 
कभी दूर न रहूँ |

आशा

27 अक्तूबर, 2014

सिमटते स्वप्न (छटा काव्य संकलन )

मुझे अपनी नई पुस्तक सिमटते स्वप्न (छटा काव्य संकलन) को आपके सन्मुख   प्रस्तुत कर   बहुत प्रसन्नता हो रही है|

इस पुस्तक में १५५ कवितायेँ हैं |हार्ड बाइंडिंग से सजी है और उसका कवर पेज आपके सन्मुख है |पुस्तक पर अपना अभिमत विद्वान प्रोफेसर डा.बालकृष्ण शर्मा निदेशक सिंधिया प्राच्य विद्या शोध प्रतिष्ठान विक्रम विश्व विद्यालय ने  दिया  है तथा वरिष्ठ साहित्यकार,पत्रकार एवं कवि श्री प्रकाश उप्पल ने भी अपना अभिमत प्रगट किया है |

नाम पुस्तक -सिमटते स्वप्न
कवयित्री : आशा लता सक्सेना
सर्वाधिकार: आशा लता सक्सेना
सन् : २०१४
मूल्य : २००/-(दो सौ रूपए मात्र )
मुद्रक : कीर्ति प्रिंटिंग प्रेस
गुरुनानक मार्केट के सामने ,फ्री गंज ,उज्जैन(म.प्र,)
फ़ोन:-०७३४-२५३१०४१
९८२७५६०६५६,९८२६६५५६५५