03 जनवरी, 2015

वरण नए चोले का


एक दिन वह सो गया 
लोगों ने कहा वह मर गया 
मृत्यु का वरण किया
और अमर हो गया 
पर सच यह  नहीं क्या ?
आत्मा ने घर छोड़ा
वस्त्र बदले मोह त्यागा 
नया चोला धारण किया 
नवीन गृह प्रवेश किया 
अनादी अनंत आत्मा 
कभी मृत नहीं होती 
बारबार वस्त्र बदलती 
नया चोला धारण करती 
 अनंत में विचरण करती
जब मन होता उसका
गोद किसी की भरती
कोई घर आबाद करती 

आशा

31 दिसंबर, 2014

विगत --आगत {हाईकू गुच्छ )


बीतता आज ---

हुआ विदीर्ण
 मनवा विगलित
त्रासदी देख  |


कैसा दरिंदा
मर्यादा भूल गया
हैवान हुआ |

दिन या रात
नहीं है सुरक्षित
है कमसिन |

आगत वर्ष ---

आगत वर्ष
दे रहा दस्तक
आने के लिए |

नवीन वर्ष
आया सम्रद्धि लिए
स्वागत करो |

स्वच्छ भारत
हो सम्रद्ध भारत
अरमां यही |

है दुआ यही
आएं ढेरों खुशियाँ
नव वर्ष में |

स्वागत नव वर्ष का ---

स्वागतम
नव वर्ष तुम्हारा
सुखमय हो |

ना ही कटुता
आने वाले कल में
आये मन में |


सौहार्द पले
जाग्रत जगत हो
अम्बर तले |

नवल वर्ष
सजधज के आया
उत्साह जगा |


आशा



30 दिसंबर, 2014

तारा आकाश में


नीलाम्बर में
एकल धूमकेतु
अनर्थ न हो |
एक सितारा
घूम रहा आवारा
सितम ढाता |

प्यारा सा तारा
टिमटिम करता
उसे बुलाता |
हर्षित मन
चमकते सितारे
लगते प्यारे |
आकाश गंगा
संगम है तारों का
असंख्य तारे |
आशा

26 दिसंबर, 2014

मैं अकेला


     मैं अकेला
खो गया यूं ही नहीं
गुमनामी के अँधेरे में
अपने आसपास ओढ़ा
आवरण भी गहन नहीं
फिर भी अन्धकार से घिरा
मार्ग से बिचलित हुआ
अहसास अकेलेपन का
इस तरह हावी हुआ
जीवन भार सा हुआ
अब रह ही क्या गया
नई राह खोजने को
उस पर आगे बढ़ने को
अब खुद से ही बेजार हूँ
करनी पर पशेमान हूँ
मैं ही पकड़ नहीं पाया
समय से पीछे रह गया
यदि पहले से सचेत होता
गुमनामी नहीं झेलता
हमजोली मेरा होता
हर कदम पर साथ देता
यूं ही एकल ना रहता |
आशा

24 दिसंबर, 2014

आज बड़ा दिन है |



माता मरियम के पुत्र 
 शान्ति के मसीहा
है जन्म दिन तुम्हारा 
सभी जन  केक काटते
खुशिया बाँटते |
जन्म लिया था  तुमने ईशू
मानव कल्याण के लिए

पाप सब के खुद ढोए
सलीब पर चढ़े |

 कितने कष्ट सहे  उफ तक न की
स्मित मुस्कान बिखेरी 

शांत भाव मुख मंडल पर लिए  |

आये थे  प्रभु का सन्देश 
अनुयाइयों को देने 
बिखरी हुई मानवता को 
एक सूत्र में बांधने |
अपना कार्य पूर्ण कर 
प्रभु के पास चले गए
सभी अनुयाई धन्य हुए  
    ईश्वर पुत्र का आशीष पा  |
हर वर्ष हँसी खुशी से

अनुगामी जश्न मनाते 

बैर भाव भूल कर

केवल प्यार बाँटते है|
तुम्हारे जन्म दिन पर
उपहारों का आदान प्रदान

परम्परा  सी हो गई है

तभी  रहता है
इंतज़ार सभी को

क्रिसमस ट्री का ,उपहारों का

 और बच्चों के प्यारे संता का |

आशा