13 जुलाई, 2015

रिश्ते बदल गए


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यह कैसा परिवर्तन
जान नहीं पाई 
हैरान हूँ परेशान हूँ
आज अचानक क्या हुआ
सब कुछ बदलने लगा
अपने ही घर में
महमान हो कर रह गई
कहने सुनने की
मनाही  हो गई
मन के भाव किससे बांटूं
दिल की किससे कहूं
अब तो अपने भी
 पराए हो गए
मुझे गैर को सोंपा
सहमति तक मेरी न जानी
फिर बार बार याद दिलाया
यह घर अब तुम्हारा नहीं
वहीं जीना वहीं मरना है
वही घर तुम्हारा है
यही बात मुझे खलती है
कचोटती है
इतने वर्ष जहां रही
वह अब कैसे अपना न रहा
जो कभी अपने थे
अब गैर कैसे हो गए
सात फेरे क्या हुए
रिश्ते ही बदल गए
अपने ही घर में
महमान हो कर रह गए |
आशा

12 जुलाई, 2015

बंसी



sमुरली कान्हा की के लिए चित्र परिणाम

बांस से बनी बांसुरी
 छू कर कान्हां के अधर
बजने लगी मधुर धुन में
डूबी है प्रेम रस में |
सुर  गहराई से निकले
 सुध बुध भूल  गोपियाँ
थिरकने लगीं
खोने लगीं उसी धुन में |
भूली सारे काम काज
बस एक बात ध्यान रही
कान्हां उनके मन में समाए
उन पर जादू कर गए |
वे कान्हां की हो रह गईं
आज भी  हैं कर्ण  उत्सुक
वही मधुर धुन सुनने को
कान्हां के दर्शन को |
आशा

10 जुलाई, 2015

पार लगाओ नैया

09 जुलाई, 2015

ग्रहण


 व्यापम घोटाला क्या है के लिए चित्र परिणाम
उन्नति को ग्रहण लगा
तम और गहराया
जिससे उभर न पाया
रात दिन भयभीत रहता
कौन बैरी हो गया  
किसी का सुख देखा न गया
काँटों से स्वागत किया
प्यार तो बरसाया नहीं
कर दी वृष्टि ओलों की
तोड़ दी कमर
 छोड़ी ना कोई कसर
घोटालों की पोल खोली
यहाँ तक भी ठीक था
पर क्या यह गलत न था  
गेहूं के साथ घुन भी
पिस रहे थे 
परीक्षाएं निरस्त हो गईं 
सारी महनत व्यर्थ गई 
उन्नति मार्ग बाधित हुआ 
बड़ी कठिनाई से फार्म भरा था 
वही उधारी शेष  है 
अब कैसे फार्म भरा जाए
सोचने के सिवाय 
और ना कुछ शेष है
स्वप्नों का जाल टूट गया 
अब भ्रम में जी रहा है 
शायद कोई चमत्कार हो 
इस ग्रहण से छुटकारा हो |
आशा