20 फ़रवरी, 2019

करार खो गया



पलक तक न झपकीं 
 आँखों के आंसू सूखे
बेचैनी बढ़ती जाती थी
  टी.वी  से निगाह न हटती |
बंद द्वार  दिल का 
 खुला जब धीरे से  
सूनी दूर सड़क पर 
कोई  नजर न आया  |
व्योम में  आदित्य की 
 रश्मियाँ आई थीं
पर न जाने क्यूँ थी  
 ऊष्मा उनकी भी फीकी  
 बेचैनी गजब की छाई |
करार  न था दिल को
ज्यों ज्योँ समाचार आगे बढे
 दिल दहलाने वाली ख़बरें
 थमने का नाम न लेतीं  |
मां ने अपना बेटा खोया 
  उसकी गोद उजड़ गई
बहन ने अपना भाई
 अब  राखी किसको बांधेगी|
पत्नि की मांग उजड़ गई 
  विरहन  मन में कसक भरी  |
नन्हों की समझ सेथा  बाहर
  वहाँ  क्या हुआ  था
अपने पापा को याद करते
 कहते वे  कब आएँगे |
उनके दिल का सुकून भी  
 कहीं गुम हो गया था
 उन लम्हों की याद में |
जब तिरंगे में लिपटी
 वीर सपूत की अर्थी वहां आई
 उसकी शहादत रह गई
 तस्वीर में सिमट कर|
उन सभी के दिलों का करार 
  लौट नहीं पाया
हर पल याद सताएगी
वीर की  शहादत की |
व्यर्थ नहीं जाएगी
 देश हित के लिए की गई
उन   यादों की भरपाई 
कभी न हो पाएगी |
 आशा





10 टिप्‍पणियां:

  1. नमन वीर जवानों को 🙏🙏
    बहुत सुन्दर लिखा आँखें नम हो गई
    सादर

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  2. अत्यंत हृदयस्पर्शी ! बहुत ही मार्मिक ! सादर नमन शूर वीर सैनिकों को !

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  3. सुप्रभात
    सूचाना हेतु आभार सर |

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  4. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |

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  5. सुप्रभात
    सूचना हेतु आभार सर |

    जवाब देंहटाएं
  6. सुप्रभात |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |

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