17 मार्च, 2020

मिलावट








 मिलावट -आज के युग में जहां देखा  वहीं है मिलावट
कोई नहीं बचा इसकी मार से
जहां जहां पड़े पैर शुद्धता के  
 मिलावट ने गर्दन पकड़ी पीछे से |
जब गेहूं लाए आटा पिसवाया
जल्दी में बीना नहीं  ठीक से
इतनी किसकिसाहट  आटे में थी
कि वह कूड़ेदान के हुआ हवाले |
खाने की सामग्री हो या  कीमती धातु हों
दवाइयां हों या अन्य उपयोग की  वस्तुएं
कोई नहीं बचा इससे
सारा बाजार भरा हुआ  है मिलावटी सामग्री से |
यहां  तक कि भाषा भी नहीं बची मिलावट से
 दो भाषाएँ मिलाकर बात जब तक न हो
कहना सुनना  पूर्ण नहीं होता 
लगता है कहीं कुछ कमी रह गई है|
 विचार स्पष्ट नहीं हो पाया
फिर से कोशिश होती है
 टूटे फूटे आंग्ल शब्दों में
 अर्थ समझाने की |
अब तो अलग अलग  विचारधारायें भी
  हैं  प्रभावित   एक दूसरे के सत्संग  से
 चार दिन का साथ बदल देता है
 सोच का ढंग आम आदमी का |
प्राकृतिक संपदा भी नहीं अछूती इससे
 नदियों  में गंदे नालों के जल की मिलावट  
वायु में प्रदूषण रसायनों का
 सांस लेना हुआ दूभर मनुष्य का |
सारी दुनिया हुई त्रस्त आधुनिकता के जाल से
कोई तो स्थान हो जहां मिलावट ने न डाला हो डेरा  
भगवान के मंदिर को भी नहीं छोड़ा उसने 
प्रसाद में भी  मिलावट की बहुत सरलता से  |
आशा    

12 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (18-03-2020) को    "ऐ कोरोना वाले वायरस"    (चर्चा अंक 3644)    पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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  2. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 18 मार्च 2020 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. सुप्रभात
    आभार पम्मी जी पोस्ट की सूचना के लिए |

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  4. सार्थक चिंतन से युक्त सुन्दर अभिव्यक्ति ! इसमें कोई संदेह नहीं किसी भी चीज़ में अब शुद्धता की कामना करना असंभव प्रतीत होने लगा है ! जहाँ देखिये वहाँ मिलावट ही मिलावट है !

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  5. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए जिसके इंतज़ार में नजरें थक गईं |

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. सुंदर रचना।
    एक भाषा मे दूसरी भाषा की मिलावट को शायद मिलावट नहीं कहते।

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    1. धन्यवाद रोहितास जी टिप्पणी के लिए |मिलावट तो मिलावट ही है चाहे भाषा की ही क्यूँ न हो |

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