26 मार्च, 2021

सागर सी गहराई तुममें

 



सागर सी गहराई तुम में 

हो इतने विशाल 

कोई ओर न छोर |

पर मन पर नियंत्रण नहीं 

जब भी समुन्दर में 

तूफान आता है 

हाहाकार मच जाता |

ऊंची ऊंची लहरें उठतीं 

 अनियंत्रित होतीं जातीं 

 सुनामी के नाम से 

  दिल दहल जाता है |

कितना विनाश होता   

नतीजा क्या निकलता 

मन दुखी हो जाता 

जानने की इच्छा नहीं  

आगे होगा क्या ?

 कैसा होगा अंजाम ?

कहा नहीं जा सकता |

वही हाल तुम्हारा है 

 होते हो  जब गंभीर 

विशाल शांत सागर जैसे  

बहुत प्यार आता है तुम पर 

पर रौद्र रूप धारण करतें ही 

बड़ा  परिवर्तन आ जाता है |

केवल कटुता ही रह जाती 

मन का प्यार 

कपूर की तरह 

कहीं उड़ जाता  है |

आशा

11 टिप्‍पणियां:

  1. सागर के स्वाभाव से तुलना .. बहुत गहन अभिव्यक्ति

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    1. सुप्रभात
      धन्यवाद संगीता जी टिप्पणी के लिए |

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 26 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. बहुत सुन्दर ! बढ़िया रचना ! सार्थक सृजन !

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    1. सुप्रभात
      टिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |

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  4. बहुत सुंदर आदरणीय आशा जी। बड़ी सहजता और सादगी से आपने बहुत बडी बात कह दी। सुनामी में परिवर्तित होना आसान है पर समंदर होना बहुत ही मुश्किल। सादर शुभकामनाएँ और होली की हार्दिक बधाई 🌹🌹🙏🙏❤❤

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  5. धन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |

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  6. सुप्रभात
    धन्यवाद रेणू जी टिप्पणी के लिए |

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