30 नवंबर, 2021

कान्हां संग नेह लगाया

 


कान्हां संग नेह लगाया

वह कान्हां सी हो गई

ना मीरा बनी न जोगन

ना ही सिद्ध हस्ती हुई |

सारा जग त्याग दिया

माया मोह छोड़ दिया  

ममता न की किसी से

निर्मोही हो कर रह गई |

 दुनियादारी से हुई दूर  

आध्यात्म की ओर झुकी

झुकती ही गई फिर भी 

शान्ति को न खोज सकी |

कान्हां मय होती गई 

दिन रात ध्यान में लीन हुई

अब मन की बेचैनी दूर हुई

वह कान्हां में खो गई |

आशा  

 

 

8 टिप्‍पणियां:

  1. सच्ची भक्ति में बड़ी शक्ति है

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    1. सुप्रभात
      धन्यवाद अनीता जी टिप्पणी के लिए |

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  2. कान्हा की तो बात ही निराली है। बहुत सुंदर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद नितीश जी टिप्पणी के लिए |

      हटाएं
  3. सुप्रभात
    आभार शास्त्री जी मेरी रचना को चर्चा मंच में आज शामिल करने के लिए |

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  4. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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