tag:blogger.com,1999:blog-1607520654597445775.post5889380645164831818..comments2024-03-25T23:18:44.469+05:30Comments on Akanksha -asha.blog spot.com: हूँ मैं एक आम आदमीAsha Lata Saxenahttp://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-1607520654597445775.post-31612484838803989352011-10-12T16:46:39.948+05:302011-10-12T16:46:39.948+05:30उत्कृष्ट रचना,बधाई!उत्कृष्ट रचना,बधाई!Humanhttps://www.blogger.com/profile/04182968551926537802noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1607520654597445775.post-72691034977074957262011-10-11T09:45:57.240+05:302011-10-11T09:45:57.240+05:30बहुत बढ़िया सामयिक रचना ....शुभकामनायें आपको !बहुत बढ़िया सामयिक रचना ....शुभकामनायें आपको !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1607520654597445775.post-67565975391644920462011-10-11T08:49:18.514+05:302011-10-11T08:49:18.514+05:30आम आदमी के जीवन की ऊहापोह और कशमकश को बहुत सशक्त अ...आम आदमी के जीवन की ऊहापोह और कशमकश को बहुत सशक्त अभिव्यक्ति दी है ! परिवार वालों की आवश्यकताओं की अपरिमित सूची और स्वयम की जेब में पड़े सीमित धन ने आम इंसान को अवसाद की ओर ढकेला है इसमें कोई संदेह नहीं है ! सार्थक रचना ! बधाई !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1607520654597445775.post-90152278363065679122011-10-11T08:30:32.373+05:302011-10-11T08:30:32.373+05:30हर बार सोचता हूँ
सबकी इच्छा पूरी करूँ
ढेरों खुशिया...हर बार सोचता हूँ<br />सबकी इच्छा पूरी करूँ<br />ढेरों खुशियाँ उनको दूं<br />पर सोच रह जाता अधूरा ...<br />...मन में जितनी इच्छाएं होती हैं वे सब पूरी हो जाय तो फिर क्या बात है मन न जाने कहाँ कहाँ भागने लगेगा..<br /> <br />"मेरो मन अनंत कहाँ सुख पावै" को समझती सुन्दर रचना प्रस्तुति हेतु आभारकविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1607520654597445775.post-64623731861789723192011-10-10T23:59:42.586+05:302011-10-10T23:59:42.586+05:30सुंदर प्रस्तुति...सुंदर प्रस्तुति...Atul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1607520654597445775.post-21201061719571592362011-10-10T21:20:16.484+05:302011-10-10T21:20:16.484+05:30आम आदमी की भला ........किसको है परवाह.....
चहुँ ओर...आम आदमी की भला ........किसको है परवाह.....<br />चहुँ ओर पसरी पड़ी..........काली चादर स्याह....<br />काली चादर स्याह............यहाँ हर मन उदास है...<br />कोई तो कुछ करे...............मरे की यही आस है...<br />कह मनोज इतनी बढ़ी........देश में है मंहगाई....<br />बड़े दिनों से मेरे घर ...........नहिं आशा ताई आई..मनोज कुमार श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17345943104372024070noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1607520654597445775.post-52856167882947725752011-10-10T17:25:58.158+05:302011-10-10T17:25:58.158+05:30पहले सोचा है व्यर्थ आतिशबाजी
पर बच्चे समझोता क्यूं...पहले सोचा है व्यर्थ आतिशबाजी<br />पर बच्चे समझोता क्यूं करते<br />यदि मना किया जाता<br />वे उदास हो जाते |<br /><br />बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||<br />बधाई स्वीकार करें ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com