tag:blogger.com,1999:blog-1607520654597445775.post7286408667726212017..comments2024-03-29T09:38:38.923+05:30Comments on Akanksha -asha.blog spot.com: बंधन जाति काAsha Lata Saxenahttp://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1607520654597445775.post-77350848902853133242010-04-29T11:38:25.363+05:302010-04-29T11:38:25.363+05:30वाह भई ..! हमारे मन की बात कह दी और वो भी बहुत सार...वाह भई ..! हमारे मन की बात कह दी और वो भी बहुत सार्थक शब्दों में ....धन्यवादRahttps://www.blogger.com/profile/08726389437723424230noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1607520654597445775.post-19804407288341952012010-04-28T09:17:09.500+05:302010-04-28T09:17:09.500+05:30"जाति प्रथा को जी भर कोसा"
इन हालातो मे..."जाति प्रथा को जी भर कोसा"<br /><br />इन हालातो में और किया भी क्या जा सकता इस के सिवा!<br />बहुत बढ़िया प्रस्तुति,अनुभव का रस साफ़ दिखाई दे गया जी!<br /><br />कुंवर जी,kunwarji'shttps://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1607520654597445775.post-82024676091080743612010-04-27T18:45:36.750+05:302010-04-27T18:45:36.750+05:30अत्यंत सार्थक और,,,,,, सुन्दरअत्यंत सार्थक और,,,,,, सुन्दरसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1607520654597445775.post-57659185892907718242010-04-27T18:44:54.840+05:302010-04-27T18:44:54.840+05:30I AGREE WITH KAVITA JI & SADHANA JII AGREE WITH KAVITA JI & SADHANA JIसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1607520654597445775.post-59553374606852833132010-04-27T16:15:25.444+05:302010-04-27T16:15:25.444+05:30जाति प्रथा की विघटनकारी परम्परा पर करारा प्रहार कर...जाति प्रथा की विघटनकारी परम्परा पर करारा प्रहार करती एक सुन्दर पोस्ट ! जब तक समाज भीरु लोग मन की आवाज़ को दबा कर लोगों के हाथों का खिलौना बने रहेंगे, असफल प्रेम की ऐसी कहानियाँ रोज जन्म लेंगी और जाने कितनी ज़िंदगियाँ इसी तरह जाति की बलिवेदी पर कुर्बान होती रहेंगी ! एक अत्यंत सार्थक और सुन्दर रचना !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1607520654597445775.post-87351627226407895442010-04-27T11:31:03.789+05:302010-04-27T11:31:03.789+05:30जब उसकी ब्यथा कथा को जाना ,
मनोदशा को पहचाना ,
नफर...जब उसकी ब्यथा कथा को जाना ,<br />मनोदशा को पहचाना ,<br />नफरत से मन भर आया ,<br />विद्रोही मन उग्र हुआ ,<br />जाति प्रथा को जी भर कोसा |<br /><br />.....बहुत दुःख होता है कि आज भी जाति के नाम पर न जाने कितने अत्याचार सरे आम होते रहते हैं ..... यह बीमारी सिर्फ गाँव तक ही सीमित नहीं शहर में भी व्यापक पैमाने पर है..... आज की प्रगति बेमानी साबित होती है जब ऐसे प्रकरण सामने आते है .......<br />बहुत ही मार्मिक और सामाजिक परिवर्तन की दिशा में सार्थक प्रयास है यह आपका... काश इसे जातिवादी मानसिकता वाले समझ पाते ..... <br />आपको बहुत आभार ...कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.com