29 मार्च, 2013

स्वच्छंद आचरण


सुनामी सा उनमुक्त कहर 
कुछ अधिक ही हानि पहुंचाता 
हो निर्भय अंकुश विहीन 
स्वच्छंद हो विनाश करता |
 निरंकुशता समुन्दर की
है कितनी विनाशकारी 
अनुभव कटु करवाती 
जब भी तवाही आती |
यही  आचरण उसका
ना सामाजिक ना भय क़ानून का
उत्श्रंखलता  से लवरेज विचरण
बनता नासूर  समाज का 
जीना कठिन कर देता |
आम आदमी निरीह  सा 
ज्यादतियां सहता रहता
यदि किसी ने मुंह खोला 
जीना मुहाल होता उसका |
आशा



22 मार्च, 2013

जन्म दिन तुम्हारा



याद है मुझे  
वह अमूल्य पल 
जब तुम सी  बेटी पा 
अपना भाग्य सराहा |
किलकारियां गूंजी 
धर के आँगन में
महकी क्यारी क्यारी 
प्यार  के उपवन में |
स्नेह तुम पर लुटाया 
हर लम्हा जिया 
खुशियाँ दामन में न समातीं 
तुम्हारी प्रगति देख 
वही प्यार की ऊष्मा 
अब भी कम नहीं 
तुम से दूर न रह पाती 
उदासी गहन छाती |
पहले तुम नन्हीं सी थीं 
रिश्तों के कई पड़ाव 
पार करते करते 
अब दादी भी बन गयी हो 
पर आज भी वैसी ही 
 हो मेरा नजर में |
है आशीष तुम्हें दिल से 
फलो फूलो प्रसन्ना रहो 
आगे अपने कदम बढाओ
अपना मार्ग प्रशस्त करो |
उन्नति का शिखर चूमो
बाधाओं का  करो सामना 
हार कभी ना मानो उनसे
वैभव कदम चूमें तुम्हारे
 जीवन जियो सफलतम |
आशा 



18 मार्च, 2013

होली न सुहाय



ना कर जोरा जोरी सांवरे
छोटा लालन रोवत है
भए लाल गाल गुलाल से
नन्हां देवरिया डरपत है |
मैं तेरे रंग में रंगी
भीगी चूनर सारी
फिर काहे की जोरा जोरी
ना कर मुझ से बरजोरी |
जाड़ा लगत
तन थर थर कांपत
मैं रंग में ऐसी रंगी
गहरे रंग छूटत नाहीं  |
है प्यार भरी अनुनय मेरी
 छींटे ही नीके लागत  हैं
ऐसी होली मोहे ना भावे
तेरा रंग ही काफी है |
तेरा रंग चढा ऐसा
बाकी रंग लागत फीके
उस के आगे कछु न भाए
मोहे  ऐसी होली न सुहाय |
आशा

17 मार्च, 2013

वे अबहूँ न आये

काटे न कटें रतियाँ ,वे अबहूँ न आए |
 बाट  निहारूं द्वार खडी,विचलित मन हो जाय ||
भूली सारे राग रंग ,कोई रंग न भाय |
पिया का रंग ऐसा चढा ,उस में रंगती जाय||
सब अधूरा सा लगता ,उन बिन रहा न जाय |
सब ठिठोली भूल गयी ,होली नहीं सुहाय ||

रातें जस तस कट गईं  ,पर दिन कट ना पाय |
बेचैनी बढ़ती गयी ,नयना छलकत जाय ||


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15 मार्च, 2013

दिग्भ्रमित

बड़ा शहर ऊंची इमारातें
शान से सर ऊंचा किये 
आसमान से बातें करतीं 
अपने ऊपर गर्व करतीं |
दूर  से वह निहारती
ऊँचाई और बुलंदी उनकी 
तोलती खुद को उनसे 
कहीं कम तो नहीं सबसे |
खुद को सब से ऊपर पा 
गुमान से भर उठती 
प्रसन्नवदना उड़ती फिरती 
बंधन विहीन  आकाश में |
दिग्भ्रमित होती जब भी 
खोज ही लेती सही राह
और खो जाती फिर से 
स्वप्नों की दुनिया में|
खुद का अस्तित्व खोजने में 
 ठोस धरातल पर जैसे ही 
धरती अपने कदम 
सारे स्वप्न बिखर जाते |
उनका विखंडन 
बिखरे अंशों का आकलन 
पश्चाताप से दुखित मन 
उसे कहीं का न छोड़ता 
जीवन का सत्व स्पष्ट होता 
आशा


12 मार्च, 2013

सफलता के पीछे

हर सफलता के पीछे 
कुछ तो छिपा है 
हाथ है किसी का
 या है साथ 
भीनी भीनी सी 
खुशबू किसी की 
अक्स या  अहसास 
है ऐसा अवश्य कोई
जो सब से छिपा है |
वह अदृश्य  
अनाम रह कर 
सींचता पौधे को
सहारा देता उसे 
जड़ें मजबूत होने तक |
है इहलोक बासी
या किसीअन्य लोक से
पर है अवश्य 
उसका हिताभिलाषी 
बिना किसी प्रलोभन के 
जीवन के हर मोड़ पर
साथ खडा है|
आशा

10 मार्च, 2013

कर भरोसा अपने पर

कर भरोसा अपने पर
रहता है क्यूं बुझा बुझा 
क्यूं आज की चिंता करता है 
आज का दौर है  कठिन पर 
कल सुधरेगा दिल कहता है |
तेरी उदासी दुखित करती 
मन उद्वेलित करती 
महंगाई की जटिल समस्या 
मुंह बाए खड़ी दीखती
 छाई रहती दिल दिमाग पर
तपती धुप सी लगती |
तू अधीर नहीं होना 
आपा अपना ना खोना 
वर्त्तमान तो बीत जाएगा 
कल सुधरेगा दिल कहता है |
कठिन परिश्रम की कुंजी हो तो
जटिल समस्या हल होगी
पुरसुकून जिन्दगी होगी 
समय बदलेगा दिल कहता है |
तू वर्त्तमान में जीता है 
तभी दुखित होता है 
जब आशा का दामन थामेगा 
बदलाव समय में होगा
तू सबसे आगे होगा 
कल बदलेगा दिल कहता है |
आशा