24 सितंबर, 2014

चाहती नहीं





चाहती नहीं 
बैसाखी तेरी साथ 
नारी आज की |

चमकी धूप 
चटकती कलियाँ 
भ्रमर मुग्ध |


भोर का तारा 
चमकता सितारा
प्यार जताता  |

हिन्दी महिमा 
देश  की है गरिमा 
गर्व है हमें |

आंधी में उडी 
अरमानों की धुल 
छलके नैन  |


हार श्रृंगार 
तुम्ही से प्रियतम 
भुलाऊँ कैसे |

प्रकृति नटी 
है धानी परिधान 
मन में बसी |

नहीं अंजान
क्या होना है अंजाम 
इस प्यार का |



आशा






22 सितंबर, 2014

तितली









  • तितली कितनी सुन्दर:-


    रूप चुराया
    पुष्पों की रंगीनी से
    ओरी तितली
    उड़ना सीख लिया
    उड़ते परिंदों से |


    प्यार जताना 
    कब किससे सीखा 
    नहीं बताया 
    है भौंरे की सलाह 
    या रंग आसमाँ का |

    लगती प्यारी
    यहाँ वहां उड़ती
    पुष्प चूमती
    आत्मसात करती 
    अनुपम लगती |



    आशा

    20 सितंबर, 2014

    यही सत्य है




    सागर तरंगित
    उर्मियों के उन्माद से
    होती हलचल
    पूनम के प्रभाव से
    ऊपर हलचल
    अंतस में ठहराव
    अनुपम है |
    सैलाव भावनाओं का
    तरंगित उर्मियों सा
    उन्मुक्त विचार
    कहीं नहीं टकराव
    अदभुद  है |
    तटबंध नहीं टूटते
    जब भी रौद्र रूप अपनाए
    वही भाव प्रगट होते
    बिना किसी परिवर्तन के
    अंतर मन के मंथन से
    अपेक्षित है |
    जाने अनजाने
    अनवरत दृष्टिगत होते
    रंग भरे केनवास पर
    दर्शाते मन की झलक
    कभी मौन हो जाते
    हलचल विहीन सागर से
    यही सत्य है |
    आशा

    17 सितंबर, 2014

    रीती आँखें



    निगाहेंयार का
    करम देखिये
    भटकाव झेलना
    सिखा रहे हैं |
    रुसवाई का है सबब ऐसा
    ना कोई गिला
    ना शिकवा शिकायत
    दूर होते जा रहे हैं ||
    एक कतरा भी
    आंसुओं का न टपका
    रीती आँखों से
     निहार रहे हैं |
    दीन दुनिया से
    दूर बहुत
    मानो जुदाई का
     जश्न मना रहे हैं |

    आशा

    15 सितंबर, 2014

    काले कागा




    चतुर कागा
    बैठा मुढ़ेर पर
    संकेत देता
    अपनों के आने का
    खुशियाँ दिलाने का |


    काले कागा आ
    नैवेध्य तेरे लिए
    मैंने बनाया
    यत्न से तुझे न्योता
    आज श्राद्ध पक्ष में |...

    कोयल कागा
    दौनों  का एक रंग
    चंट कोयल
    उसको  छका देती
     कागा को  ठग लेती  |

    है हतप्रभ
    बाल कोयल देख
    बच्चों के संग
    कोयल के  अंडे थे
    कागा ने बड़े किये |



    आशा