30 जून, 2015

परिणाम जान न पाई

 
देख बादल आसमान में
नाचता मयूर पंख पसारे
थिरकता प्रसन्न होता
मधुर स्वर उच्चारण करता |
कृष्ण की बांसुती सुन जैसे
गोपियां  खिची चली आतीं
मधुर स्वर से प्रभावित
मोरनी निकट उसके आती |
नृत्य में तेजी आती
थिरकन बढ़ती जाती
पैरों पर जब दृष्टि पड़ती
वह दुखी होता |
अश्रु झरने लगते नयनों से
वे धरती पर ना गिर जाएँ
 सोच मोरनी निकट आती
अश्रु पीती बिना सोचे |
क्या होगा परिणाम इसका
नहीं जानना चाहती
वर्षा आई मौसम बदला
पर मयूर जोड़े में न दिखे
दोनो अलग हुए सुहाने मौसम में
रहे स्वतंत्र भोजन की तलाश में
  साथ किसी ने न देखा उन्हें  |
आशा





28 जून, 2015

पक्षी प्रेम



धरती जागी
अम्बर जागा
पृथ्वी  का कण कण
हुआ चेतन |
पर एक नन्हीं चिड़िया
नहीं उड़ी
ना ही चहकी
वह थी उदासी से घिरी |
कारण मौन का
स्पष्ट था
बिना दाना पानी के
वह थी  उदास |
पास आ प्यार जताया
वह कसमसाई
हलकी सी जुम्बिश हुई
चौच उसकी खुली |
वह जान गया
वह भूखी थी
पानी भी न मिला होगा
कैसे क्षुधा शांत करती |
कुछ दाने
कुछ पानी एक कटोरी में
जल्दी से ले आया
दाना उसे चुगाया |
चेतना जाग्रत हुई
पंख फैला उड़ चली
मधुर सुर गुनगुनाती
संतुष्टि का भाव लिए |
 मनोभाव जताएअपने 
दाना पानी के लिए
दयाभाव रखने के लिए
पक्षी प्रेम के लिए |
आशा

26 जून, 2015

भास् मित्रता का

 मित्र के लिए चित्र परिणाम
है कितना आवश्यक
ऐसा कुछ करना
रिश्ते सुरक्षित रखना
उन्हे प्रगाढ़ करना |
इतनी सी बात
समझ न पाए यदि
क्या लाभ मनुष्य होने का
अपने वजूद पर गर्व करने का |
सम्बन्ध मधुर
जीवन में रस घोलते
कठिन से कठिन प्रश्न
चुटकियों में हल होते |
यही तो होती देन
मित्रता रखने की
सच्चा मित्र परखने की 

उसे यादगार बनाने की |
रिश्ते दरक नहीं पाएं 

दंशों से उन्हें बचाएं
  पालें पोसें 

परिपक्व  करें |
एक छायादार वृक्ष
जब फले फूलेगा
अप्रतिम अहसास होगा
मित्रता का भास् होगा |
आशा

24 जून, 2015

जुनून

sansaar anokhaa swapnon kaa के लिए चित्र परिणाम
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स्वप्न था या सत्य था
सोचने का ना वक्त था
फिर भी खोया स्वप्नों में
जूनून नहीं तो और क्या था
पलकों से द्वार किये बंद
दस्तक पर भी अवधान न था
पर वे बेझिझक आये
बिना द्वार खटखटाए
यह मन का भरम नहीं
तो और क्या था
एक पल भी न ठहरा
दृश्य बदल गया
मन से वह तब भी न गया
यह ख्याल था या जुनून था |

जागती आँखे देखती उसे 
कभी समक्ष न होता 
पलक बंद करते ही 
फिर जीवंत होता 
यही खेल दिन भर के लिए 
व्यस्तता का सबब होता 
एक अनूठा अनुभव होता 
तभी संशय मन में होता  
इसे क्या कहा जाए 
स्वप्न या उसका जूनून |



आशा

22 जून, 2015

वह मेरा नहीं था


ए दिल मुझे बता 
क्या तू मेरा  ही था
जिस के लिए  धड़कता रहा 
वह तो मेरा न था  |
उसने कभी चाहा न था 
प्रेम से बुलाया न था
वह भटका हुआ राही था
फिर भी तू धड़का |
यह तेरा कैसा न्याय 
बेगाने पर एतवार 
पल भर तो ठहरता 
मुझसे पूंछ लिया होता |
पीछे से तूने वार किया 
मुझे  अब तुझ पर भी
एतवार  न रहा 
यह तूने क्या किया |
है अब भी यही सोच तेरा 
कुछ भी गलत नहीं था 
तब मेरा मौन ही है उचित
क्या लाभ  प्रतिक्रया का |
फिर भी यही रहा मन में 
तूने उसे अपनाया 
जो भूल गया सच्चाई   को 
 कभी तो  मेरा  था |
आशा





21 जून, 2015

वर्षा का आनंद

 जल बरसा हरियाली छाई के लिए चित्र परिणाम
छाई घनघोर घटा  आज 
बादलों ने की गर्जन तर्जन 
किया स्वागत वर्षा  ऋतु का 
नन्हीं जल की बूंदों से |
धरती ने समेटा बाहों में 
उन नन्हें जल कणों को 
आशीष दिया भरपूर उन्हें 
सूखी दरारें मन की भरने पर |
नदी नाले हुए प्रसन्न 
देख बादल  बर्षा आगमन 
बढ़ने लगा जल  स्तर
उनके मन का उत्साह देख |
कृषकों का हर्ष देखना मुश्किल 
अपूर्व सुख का आकलन कठिन
वे सोये नहीं हुए  हुए व्यस्त 
खेतों को ठीक कर बौनी की तैयारी में |
आम आदमी अपनी खुशी 
कैसे जताए सोचता
पिकनिक पर जाने का मन बना
वर्षा का आनंद उठाता |
आशा