22 जुलाई, 2015

असंतोष

चक्र व्यूह के लिए चित्र परिणाम

सुख साधन जोड़े थे 
उनको जिया जी भर के 
यथा संभव खुशियां  समेटीं 
फिर भी असंतोष मन में |
है यह कैसा चक्रव्यूह 
अभिमंन्यू  सा फैसता गया 
सभी यत्न विफल हुए 
बाहर निकलने में |
कभी पढ़ा था 
संतोषी सदा सुखी 
पर वह रह गया वहीं 
जीवन में न उतर पाया |
आकांक्षाएं बढ़ती गईं 
पूर्ति जिनकी थी असंभव 
संयम की नाव डगमगाई 
समूचा हिला गई |
विकराल रूप ले लहरों ने
बीच भंवर तक पहुंचाया 
जीवन नैया डूब रही 
असंतोष के  भंवर में |
जीवन भार सा हुआ 
संतुष्टि के अभाव में 
खुशियाँ सारी खो गईं 
जीवन के अंतिम पड़ाव में |
आशा




20 जुलाई, 2015

मिज़ाज मौसम का


मौसम का मिजाज के लिए चित्र परिणाम
पहले सूखे की आशंका
फिर अति की वर्षा
यह कैसा मिज़ाज तेरा
 आभास तक  न  होता
जरा सी बेरुखी तेरी
समूचा हिला जाती
कितनी आशाएं जुड़ी तुझसे
क्यूं समझ नहीं पाता
बूँद बूँद को तरसती निगाहें
तपिश इतनी कि जीना मुहाल है
उस उमस का क्या करें
जो बेरहम होती  जाती
तब भी तुझे दया न आती
कभी गर्मी कभी सर्दी
तेरा व्यवहार अनोखा
जीवन सहज न हो पाता
बेचैन किये रहता
ऐसी अपक्षा न थी   तुझसे
कभी तो सामान्य हो
जिन्दगी सरल हो पाए
तनाव से छुटकारा हो |
आशा


18 जुलाई, 2015

स्वागत वर्षा का




बूँदें वर्षा की 
टपटप टपकतीं
  झरझर झरतीं
धरती तरवतर होती
गिले शिकवे भूल जाती |
हरा लिवास  पहन ललनाएं
कई रंग जीवन में भरतीं 
हाथों में मेंहदी रचातीं
मायके को याद करतीं |
सावन की घटाएं छाईं  
आसमान हुआ  स्याह
पंछियों ने गीत गाया
गुनगुनाने का जी चाहा   |
झिमिर झिमिर वृष्टि जल की
ताप सृष्टि का हरती
वर्षा की नन्हीं बूंदें 
 थिरकती नाचतीं  किशलयों पर|
वे हिलते डुलते मरमरी धुन करते
हो सराबोर जल 
  नृत्य में सहयोग करते
आनंद  चौगुना करते |
नहाती बच्चों की  टोली वर्षा में
 है  यही आनंद वर्षा में नहाने का
सृष्टि के सान्निध्य का |
आशा

17 जुलाई, 2015

विचारणीय


shakti ki shakti के लिए चित्र परिणाम
-कई विचार मन में बसते
कुछ ही उकेरे  जाते
 केनवास पर
या कोरे कागज़ के पन्नों पर
बीज अनेक बोये जाते
पर वृक्ष कुछ ही उगते
शेष नष्ट हो जाते
खाद का काम करते
अनेक जीव हैं सृष्टि में
सब फलफूल नहीं पाते
काल के गाल में समाते
सक्षम ही जीवित रहते
शासन समाज पर कर पाते 
सात रंग से बना इंद्र धनुष
पर वर्चस्व केवल चार का
वे ही स्पष्ट दीखते
अन्य गौण रहते
 जितनी शक्ति है जिसमें
संघर्ष करने की
खुद को स्थापित करने की
वही हुआ सफल सृष्टि में
 अपने को स्थापित करने में  
यही है कहानी
जीवन की रवानी की
शक्ति की भक्ति होती
कमजोर को स्थान नहीं |
आशा