30 सितंबर, 2015

तुझे खोजें कहाँ


अस्ताचल को जाता सूरज के लिए चित्र परिणाम
जाने क्या बात हुई
उदासी ने ली अंगड़ाई
सबब क्या था
उसके आने का
वह राज क्या था
मन की बेचैनी का
 खोज न पाई
चर्चे तेरे  अक्सर
 हुआ करते थे
कभी कम कभी बेशुमार
 हुआ करते थे
ऐसा तो कुछ भी न था
जो चोटिल कर जाता
मन को ठेस पहुंचाता
तब भी मुठ्ठी भर खुशी
दामन में समेत न पाई
अस्ताचल को जाता सूरज
जब खोता  प्रखरता अपनी
थका हारा बेचारा
पीतल की थाली सा दीखता
 बादलों में मुंह छिपाता
आसमान सुनहरा हो जाता
जाने क्या क्या याद दिलाता
उदासी शाम के धुधलके सी
गहराई मन पर छाई  
रंग उसका फीका न होता  
पुरानी किताब के पन्नों सा
छूते ही बिखरने लगता  
 कैसे समेटें  उन लम्हों को
दिल पर लिखे गए शब्दों को
ऐ मुठ्ठी भर खुशी
तुझे कहाँ खोजा जाए
परहेज़ उदासी से हो पाए |
आशा

29 सितंबर, 2015

शिक्षा का महत्त्व


शिक्षा बेटी की  :-
नन्हीं कली नाजों में पली
दिन रात विहसती रहती थी
चिंता चिता समान जान
उससे दूरी रखती थी |
पहले दिन शाला गई
कक्षा में प्रवेश किया
बोझ  बस्ते का था भारी
थकित चकित वह बैठ गई |
पाठ बड़ा ही कठिन लगा
अवधान केन्द्रित ना हो पाया
जाने कब होगी छुट्टी
उसने सोचा कहाँ आ गई |
समस्त  आजादी गई
उबाऊ पठन  पाठन से 
भागने का मन होता
शाला जाने का मन न होता |
एक दिन अचानक
जाने कहाँ  से पत्र आया
जब पढ़ न पाई
अपनी गलती पर पछताई |
यदि कहना मानती
आज यह गति ना होती
ध्यान से पढ़ने लगी
ऎसी उसे लगन लगी |
छिपी प्रतिभा समक्ष आई 
मिला सहयोग भी  यथोचित
एक दिन वही बेटी 
उच्च पदासीन हुई 
माँ पिता की शान हुई |
उसने अपनी  क्षमता को पहचाना   
थी सब के मुंह पर एक ही बात
बेटी हो तो ऎसी हो
शिक्षा का महत्व जानती हो

आशा

27 सितंबर, 2015

हे गणनायक

आज अनंत चतुर्दशी है :-
Asha Lata Saxena's photo.
 हे गणनायक सिद्धि विनायक
प्रथम पूज्य विघ्न हरता
मेरी कामना पूर्ण करो
आया शरण तेरी
तुम सब की चिंता हरते
सदा सभी का ध्यान रखते
पर मेरी बारी आते ही
जाने क्यूं मुझे भूल जाते
यदि मैंने कुछ गलत किया
क्षमा मांगने आया हूँ
पान फूल लड्डुओं का
भोग लगाने आया हूँ
हे गणेश गजानन गौरी नंदन
मेरी आस्था मुझे लौटा दो
मुझ में विश्वास जगा दो
जो कुछ हूँ तुमसे ही हूँ
भक्ति भाव जगा दो
मुझे अपने तक पहुचा दो|
आशा

26 सितंबर, 2015

बेटी बिना

माँ बेटी का रिश्ता के लिए चित्र परिणाम
बेटी बिना घर सूना सूना
कोई विकल्प न होता उसका
हैं वे ही भाग्यशाली जो
बेटी पा पुलकित होते
उसे घर का सम्मान समझते
सजाते सवारते पढ़ाते लिखाते
इतना सक्षम उसे बनाते
गर्व से कह पाते
है मेरी बेटी मेरी शान
दौनों कुल की रखती आन
अच्छी बेटी ,बहन ,माँ हो
देती प्रमाण अच्छी शिक्षा का
माता पिता के सहयोग का
उनके उन्नत  सोच का

 कोई विकल्प न होता 
बेटी बिना घर सूना होता |


आशा

24 सितंबर, 2015

कच्ची सड़क

सूरज की तपिश से दूर रखती
छन छन कर आती धूप
बहुत सुकून देती
मार्ग सुरम्य कर देती |
आच्छादित वृक्षों से
मार्ग पर चलने की चाहत
दौड़ने भागने की मंशा
बलवती कर देती |
जब भी अवसर मिलता
या सैर का मन होता
पेड़ों की छाया गिनते जाते
दूर तक निकल जाते |
गुनगुनाते आगे बढ़ते
 गीत का मुखड़ा याद रहता
अंतरा भूल जाते
गीत अधूरा भी आनंद देता |
लाल मिट्टी पर पेड़ों के  अक्स
उनका  लंबा छोटा होना
छाया पकड़ने की कोशिश में
अनवरत व्यस्त रहना
एक खेल सा हो जाता
रास्ता मस्ती में कट जाता |
चलते चलते जब थकते
शरण पेड़ की छाया देती
आगे बढ़ने की क्षमता जगती
कुछ पल वहां कट जाते |
दूरी कब कम हो जाती
मन चंचल जान न पाता
उस  राह पर चलने का
मोह छूट न पाता |
दोपहर में वहां चलना
तनिक भी कष्ट न देता
कितना भी बोझ बस्ते का हो
वह हल्का ही लगता
घंटी की आव़ाज सुनते ही
द्रुत गति से भागते
मौज मस्ती भूल जाते
पढ़ने में व्यस्त हो जाते |
भीड़ भाड़ से दूरी है
विशेषता उस मार्ग की 
है हर मौसम में सुखदाई
वह राह बहुत मन भाई |
गुल्ली डंडा हो या क्रिकेट 
  याद  वही मार्ग आता 
बच्चों के लिए वही
खेल का मैदान होता |
 |
आशा













22 सितंबर, 2015

बाई पुराण


आदत से महबूर है  ,बाई बहुत उस्ताद |
रोकाटोकी रोज की ,लगती नई न आज ||

रोजाना बहस बाजी ,उससे सहन न होय |
बाई है तो क्या हुआ ,अपना ज्ञान न  खोय ||

सभी सवाल का जबाब ,एक भी नहीं उधार |
 शब्द वाण थे बेमिसाल, बार बार किये प्रहार ||

हुआ टोटा बाई का ,मानो पड़ा अकाल |
सातों जाती कार्यरत ,फिर भी ना निस्तार ||

महरी माई ना करो ,करो हाथ से काम |
अति आलस्य की हुई ,अच्छा नहीं विश्राम ||

सुख शान्ति की खोज में ,ना हो यूं हलकान
बाई है या मुसीबत ,यही सत्य पहचान ||

मुसीबत झेलना पड़े ,नहीं कोई उपाय |
जिसको आना हो आये ,बाई छोड़ न जाय ||

आशा