02 मई, 2018

इंतज़ार


आस लगाए कब से बैठा
मखमली घास पर आसन जमाया
खलने लगा अकेलापन
मन को रास नहीं आया
पास न होने का
क्या कारण रहा
यह तक मुझे नहीं बताया
मैं ही कल्पना में डूबा रहा
छोटी मोटी बातों ने
एहसास तुम्हारा जगाया
जैसे तैसे मन को समझाया
फिर भी तुम पर गुस्सा आया
क्या फ़ायदा झूठे वादों का 
तुम्हारे इंतज़ार का  
तुम्हारी यही वादा खिलाफी
मुझ को रास नहीं आती
मन को चोटिल कर जाती
आशा

01 मई, 2018

विरासत










आज हमें जो विरासत में मिला है
उसे ही यदि सम्हाल कर रखा तब
जग जीत लेंगे किसी बाधा से नहीं डरेंगे
है यदि दृढ निश्चर तब भय किस बात का
आगे बढाए पैर पीछें न हटाएंगे
ना दौलत की है चाह न नाम का जुनून
है जज्बा मन में देश हित के लिए जियेगे
हो यदि दृढ निश्चय अटल हार न देखेंगे
अपनी विरासत को सम्हाल कर रखेंगे |
आशा