05 दिसंबर, 2018

बधाई



जब पहला कदम रखा दुनिया में
 ख़ुशी चारो ओर फैली
पहला शब्द माँ कहा 
मौसी हुई निहाल
क्यूँ न चूम लूं तुम्हें
तुमसी बेटी पा कर
दी बधाई 
 तुम्हारी जननी को
दिन प्रति दिन प्रगति हुई
ठुमक ठुमक चलना सीखा
दौड़ती फिरती आँगन में
सतरंगी  फ्राक पहन कर
गोल गोल घूमती
एक उंगली का
 नृत्य दिखाती
माँ लेती उसकी बलाएं
सब देते बधाई
 देख तुम्हारी चतुराई
कोई प्यारी बहना कहता
 कोई दुलारी बेटी
पहला दिन स्कूल जाने का
 नया परिधान सिलवाया
नया बस्ता  नई पट्टी
 कॉपी किताब पेन्सिल
 जाने से पहले 
माँ ने  टीका लगा
भगवान से दुआ मांगी
बाक़ी सब ने दी बधाई
नए स्कूल में जाने के लिए
थकी हारी शाला से लौटी
सब ने पूंछा हाल 
बातें बढ़ चढ़ कर सुनाई
पट्टीपूजन के बाद
 पहला अक्षर “अ”
जो लिखा था वही
सब को दिखलाया
देते रहे सब बधाई
क्या  कुशाग्र बुद्धि पाई |
आशा

04 दिसंबर, 2018

साहिल






लहरें टकरातीं लौट जातीं
पर साहिल शिकायत नहीं करता
कभी दुखी भी नहीं  होता
जानता है प्रारब्ध अपना
चाहे कोई भी मौसम हो
तूफान आए तांडव मचाए
किनारा तोड़ने की
पूरी कोशिश करे
नुकसान तो होता है
पर इतना भी नहीं कि
 सुधार न हो पाए
 यूं तो धीरे धीरे
स्वतः  ठीक हो जाता है
या सुधारा जाता है
 जल का साथ सदा देता है
उसे बाँध कर रखता है
साहिल तो साहिल ही रहेगा
जल को कभी
भटकने न देगा |
आशा

02 दिसंबर, 2018

कीमतें














–मंहगाई का युग है
तेजी से उछल आया है
हर वस्तु की कीमत में
पर मनुष्य  सस्ता हुआ
महनत की मजदूरी भी
है  नहीं उसके  नसीब में
चूंकी तू खरा  कहता है
कीमतें बढ़ गईं
तेरे अशहारों की
लोगों का वश नहीं चलता
कोई कमी नहीं रखते
तुझे नीचा दिखाने में
सच्चाई के साथ चल कर
तूने उच्च पद पाया है
किसी से खेरात  नहीं ली है
अपने आप को दाव पर लगाया है
पंखफैला कर उड़ना ही है जिन्दगी 
 तभी कहने में आता है
कीमत बढ़ गई तेरे अशहारों की |
आशा

हाईकू

1-स्वर बेसुर
कानों में खटके
करें बेचैन

2-व्यर्थ बहस
मन मलिन करे
शोभा न देवे

3-दारुण दुःख
सहन नहीं करो
हो प्रतिकार

4-गिला शिकवा
खुद से किया जाता
उचित नहीं 
५ -अपना दुःख 
किससे बाटा जाए 
कोई सुझाए  
6- गेंदा गुलाब
महके बगिया में
क्यारी महकी
७ -है हरा रंग
चारो ओर बिखरा
पंछी चहका
आशा

01 दिसंबर, 2018

समस्या का निदान






आओ पंख फैला कर उडें
भगवत भजन करें


है आज का पावन पर्व

 पूजा की थाली सजाएं

जल का लोटा भर लाएं

मिष्ठान प्रसाद मन भर लाएं

 प्रेम से दान धर्म कर पाएंगे

जब अटूट श्रद्धा होगी

तभी मनोरथ पूर्ण होगा

 इसी लिए कहती हूँ

 कोई कमियाँ न रह जाएं

  जितनी कमीं रह जाएगी

उतना ही फल कम मिलेगा

जीवन भर पछताएंगे

मसला हल न होगा |
आशा

29 नवंबर, 2018

आवाज









आवाज मीठी मधुर
कानों में रस घोलती
अपनी ओर आकृष्ट करती
आवाज प्रातः काल परिंदों की
  स्वतः मन को रिझाती
कोयल की मधुर ध्वनि
कर्णप्रिय लगती
 अपनी ओर आकृष्ट करती
कागा बैठ मुडेर पर देता सन्देश
अतिथि आगमन का
गृह कार्य में स्फूर्ति आ जाती
 रात में जब विचरण
 की इच्छा होती
जंगल बहुत प्रिय लगता
जलप्रपात का  कलकल निनाद 
 बहते जल की आवाज
अपनी ओर खीचती
 उसके किनारे बैठना 
जल के बहाव के संग 
विचारों को पंख देना
बहुत रंगीन मंजर  होता
हवा का बहाव उसमें
 चार चाँद लगाता
जब चांदनी रात होती
यूँ तो अपार शान्ति रहती
पर रात्रिचर यदाकदा 
स्वर छेड़ते रहते रह रह कर
फिर भी अपूर्व आलम रहता
वहां के आनंद  का
यहाँ शान्ति मन में बसती
जीवन की उलझनों से
 दूर बहुत दूर ले जाती
आवाज की मधुरता  ही
  उसकी ही है  जान
मानो या न मानो
प्रकृति के सान्निध्य में
जो सुकून मिलता है
 कहीं नहीं मिल पात़ा |
आशा