विरहन सोच रही मन में
विचारों में खोई खोई
याद तुम्हारी जब भी आएगी
हर बार कोई समस्या आएगी
वह अकेले न रह पाएगी
हर बार कोई समस्या आएगी
वह अकेले न रह पाएगी
क्यूँ समझ में न आ पाएगी
है ऐसी कैसी उलझन
जो हल न हो पाएगी
यूँ तो यादों में खो जाना
यूँ तो यादों में खो जाना
बड़ा प्यारा लगता है
प्यारा सा एहसास
जागृत होने लगता है
जागृत होने लगता है
पर कब मुसीबत बढ़ जाएगी
सब को कैसे समझाएगी
सब की नजरों में तो न गिर जाएगी
अभी दीखती बहुत लुभावनी
क्या होगा जब
जब विरह वेदना बढ़ जाएगी
दिल से न जा पाएगी
दिल से न जा पाएगी
बारम्बार समीप आकर
चैन लूट ले जाएगी
चैन लूट ले जाएगी
मुझ पर हावी हो
मुझे बहुत सताएगी
मुझे बहुत सताएगी
मेरे आकर्षण की शक्ति
क्षीण होती जाएगी
क्षीण होती जाएगी
तुम्हारा नहीं आना
बेचैन मन को न रास आएगा
दृष्टि दरवाजे
पर टिकी रहेगी
अलगाव फीका न हो पाएगा
विरही मन है कितना आकुल
यह सबको कैसे समझाएगी |
आशा