25 अप्रैल, 2019

मन खिन्न हुआ




  मन खिन्न हुआ दिल टूट गया
थी  जो अपेक्षा   उस पर खरे न उतरे 
जाने कितने अहसान कियेपर जताना कभी नहीं भूले
संख्या इतनी बढ़ी कि भार सहन ना हो पाया
बेरंग ज़िंदगी का एक और रूप नज़र आया
कहने को  सब कुछ है पर कहीं न कहीं अंतर है
छोटी-छोटी बातों से किरच-किरच हो दिल बिखर गया
गहरे सोच में डूब गया
 वेदना ने दिये ज़ख्म ऐसे नासूर बनते देर न लगी
अब कोई दवा काम नहीं करती दुआ बेअसर रहती
अश्रु भी सूख गये अब तो पर आँखे विश्राम नहीं करतीं 
वेदना इतनी गहरी कि रूठा मन शांत नहीं होता
है इन्तजार उस परम सत्य का
जब काया पञ्च तत्व में विलीन होगी
झूठी माया व्यर्थ का मोह सभी से मुक्ति मिल पायेगी
वेदना तभी समाप्त हो पाएगी |
                            आशा

17 अप्रैल, 2019

क्या अच्छा क्या नहीं ?


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यदि हर सपना अच्छा होता तब
सभी देखना पसंद करते
पर भयावह स्वप्न बड़े 
कष्टकर लगते |
हर बात पर वाहवाही मिले
आवश्यक नहीं
पर सही बात पर प्रशस्ति
है परमावश्यक |
मन की मन से बात
हुई अच्छा लगा
गिले शिकवे दूर हुए
मिलने की इच्छा पूर्ण हुई
यत्न हुए सफल अच्छा लगा |
प्यार के बदले में
कुछ ना चाहिए
अनायास यदि मिल जाए
मनभावन सपना लगा |
आशा

क्या होना चाहिए क्या नहीं ?



 हर बात  का बतंगड़ बनाना
तूल देना ना  चाहिए
मन में हो श्रद्धा यदि 
जग जाहिर होना चाहिए
दिखावे से क्या लाभ
ऊपर वाला सब देख रहा है
कपट मन का
 उजागर होना चाहिए
सत्य किसी से छिपता नहीं
स्पष्ट चहरे पर दिखाई देता
आइना नैनों का
 सारी पोल खोल देता
चालबाजी से क्या लाभ
कभी तो सामने आएगी
तब कोई भी  हल
 न मिल पाएगा
पहले से सतर्क रहना  चाहिए
अपशब्दों से क्या लाभ
मन में संतुलन होना चाहिए
प्यार से प्यार मिलता
कटुता नहीं फैलती
सुसंस्कृत भाषा का प्रयोग
उपयोग में होना चाहिए 
किसी को ताना देना 
 प्रत्यारोप सहन करने का  
अवसर मिलना ना चाहिए |


आशा

16 अप्रैल, 2019

आमराई में कैरी से लदा वृक्ष

कोयल की कुहू कुहू ने 
ध्यान मेरा भंग किया
 लगा कोई बुला रहा है 
बाहर झांका देखा देखती ही रह गई 
न जाने कब पेड़ लदा कच्ची केरियों से 
अपनी उलझनों से बाहर निकल कर 
जब भी झांकती हूँ खिड़की से बाहर 
कुछ परिवर्तन होते दीखते हैं  अमराई में
कल को आम बौराया था 
आज फूलों में फल लगे हैं 
वह भी कोई कच्चे कोई अधपके  पीले
देख खाने को मन ललचाया 
इधर उधर देखा भाला
एक पत्थर डाली पर मारा 
पर निशाना चूक गया  
दूसरे निशाने  की तैयारी की
 पर मन में शंका जागी 
कहीं किसी को लग गई तब
घर बैठे मुसीबत आ जाएगी 
मन मारा  माली का किया इन्तजार
पर निष्ठुर ने एक न  सुनी मेरी
कहा बीमारी और बढ़ जाएगी 
क्या लाभ खटाई खाने का 
ललचाई निगाहों से 
मन मार देखती रही
 कैरी से लदे उस  वृक्ष  को
सोचा कोई बात नहीं 
  हम देख कर ही 
मन में  भाव भर लेंगे संतुष्टि का
हर सामग्री यदि
 उपलब्ध होगी जीवन में 
प्रलोभन शब्द ही नहीं रहेगा 
जिन्दगी के शब्द कोष  में |
आशा





14 अप्रैल, 2019

तेरे इन्तजार में


                                    सारा दिन बीत गया
तेरे इंतज़ार में
कभी इस तरह
कोई न पड़े प्यार में |
दिन से गए दीन से गए
हाथ न आया कुछ भी
ऐसे खोए  ख्यालों में
जीना हुआ   मुहाल अब तो  |
बहुत आकर्षक लगता है
स्वप्नों में खोए रहना
 रात भर जाग  कर
केवल तारे गिनना |
यह गिनती कभी
 क्षय  नहीं होती
समय के साथ
 हमारी रेस होती |
आनंद इसमें भी
 है अंदाज  अनोखा
जब तक जी राहे हैं
रहता इंतज़ार तेरा |
                                             आशा

13 अप्रैल, 2019

स्वप्न अधूरा रह जाता



रोज रात रहता
 पहरा स्वप्नों का
उनमें भी वर्चस्व तुम्हारा
 तुमसे ही जाना है
तुमसे ही तुम्हें चुराया है
हमने  अपने ख्वावों  से
चुराया है तुम्हें
जब भी स्वप्न आते हैं
चाहे जो भी हो उनमें
 मुख्य पात्र तुम्ही होते हो
तुम्हारे बिना कोई
 स्वप्न पूरा न होता
जैसे ही आँखें खुल जाती हैं
तुम न जाने कहाँ हो जाते तिरोहित
मन को बहुत संताप होता 
जब मुख्य पात्र  ही कहीं
 गुम हो जाता है
प्रमुख पात्र के खो जाने से
 उदासी हावी हो जाती
फिर नींद नहीं आती
 तारे गिन गिन कटती रातें
तुम क्या जानों
 है प्रमुख पात्र की भूमिका क्या ?
सारे सुख रस विहीन हो जाते
जब तक तुम बापिस न आते
कोई तुम्हारी जगह न ले पाता
 स्वप्न अधूरा ही रह जाता |
आशा                    

11 अप्रैल, 2019

हाईकू


























 १-मां की ममता
का कोई मोल नहीं
इस जहां में

२-मत की आशा

मतदाता से होती
है आवश्यक

३-है मत देना
अधिकार हमारा
मतदान हो

४-आशा निराशा
मेंअटके प्रत्याशी
क्या प्रारब्ध हो

५-हार जीत में
आरोप प्रत्यारोप
 नहीं संभव
आशा