दिल तो है विशाल
बहुत कुछ समा सकता है इसमें
तुम पढ़ते पढ़ते थक जाओगे
मेरे भीतर मिलेगा तुम्हें
एक अखवार मोहब्बत का
जिसमें छपा होगा कोई पैगाम
जब भी उसे पढ़ोगे
छलकेंगे नयन तुम्हारे
फिर भी उसे न खोज पाओगे
है वहां छिपी एक ऎसी पहेली
ना ही उसे समझ पाओगे
ना ही हल कर पार्ओगे
मन है ही एक उलझनों का अखवार
जितना सोचोगे विचारोगे
उलझन के चक्र व्यूह में
उलझते ही चले जाओगे |
आशा