जिन्दगी में उलेझनें अनेक
कैसे उनसे छुटकारा पाऊँ
दोराहे पर खड़ा हूँ
किस राह को अपनाऊँ |
न जाने क्यूं सोच में पड़ा हूँ
कहीं गलत राह पकड़ कर
दलदल में न फँस जाऊं
उस में ही धसत़ा जाऊं |
एक कदम गलत उठाया यदि
बहुत अनर्थ हो जाएगा
जो कुछ भी अर्जित किया
सभी व्यर्थ हो जाएगा |
सारी महनत व्यर्थ होगी
कुछ भी हाथ न आएगा
जितने भी यत्न किये अब तक
मिट्टी मैं मिल जाएंगे |
पर दुविधा में हूँ
इधर जाऊं या उधर जाऊं
कोई भी पास नहीं है
जो मार्ग प्रशस्त करे |
जिधर देखो उधर ही
कोई हमदम नहीं मिला
कोई हमदम नहीं मिला
उलझानें कैसे सुलझाऊं
उन से छुटकारा पाऊँ |
आशा
आशा