24 मई, 2020

धटनाएं आज और बीते कल की


इस सदी में जन्मी तो नहीं हूँ मैं
पर हूँ अवश्य गवाह
 होने वाली गतिविधियों की
सोचती हूँ कितनी तीब्र गति से 
 दुर्घटनाएं होती हैं ?
कुछ समय बाद याद ही नहीं रहेगा
 क्या हुआ था पर ऐसा नहीं है
वे अपने पीछे
 यादों के चिन्ह छोड़ जाती हैं
समय पा  यादों का जख्म
 अब भरता नहीं है
और अधिक गहरा हो जाता है
 अंतर स्पष्ट दिखाई देता  है
 पहले की और आज की घटनाओं में
अब पहले सा युग नहीं रहा
 मनुष्य अब  आत्मकेंद्रित हुआ है
पर यह भी पूरी तरह सत्य नहीं है
कुछ लोग आज भी हैं ऐसे
 जो  दूसरों का दर्द समझते हैं
समय  पर मददगार होते हैं 
 स्वार्थी नहीं हैं
हैं प्रशंसा के पात्र मतलबी नहीं हैं
मैंने भी उनसे ही  शिक्षा ली है
 निश्प्रह हो कर  जो  बन सके
 मदद  कर देती हूँ
रखती हूँ मन बड़ा अपनापन  लिए
मेरे हाथों में अधिक  कुछ नहीं है |
आशा
  

23 मई, 2020

क्षणिका




१-किसने कहा तुमसे
प्यार तुम्हारे नसीब में नहीं है
है मुझे पता  है वह बेशुमार
तुम्हें उसकी कोई  कद्र नहीं |

२-प्यार किया नहीं जाता
अनजाने में हो जाता है
पात्र हो या कुपात्र मन जिस पर आए
आज के युग में  सब चलता है |

३- यह है भाग्य का खेल
किसी से क्या कहना
हार जीत का सिलसिला
ऐसे ही चलता है |

४-जन्म मरण एक साथ
जब सुनने को मिलते हैं
मन में विरक्ति जाग्रत होती है
मन संसार से उचटता है |

५- कितनी अनहोनी घटनाएं
होती हैं आए दिन
ईश्वर परीक्षा लेता है
मनुष्य के धैर्य का  |

आशा