हर हाल में मस्तिष्क सक्रीय रहता है
सुख़ से हो या दुखी कभी निष्क्रीय नहीं होता
कोई बात उसे चिंतित नहीं करती
हर समय व्यस्त रहता है अपने कार्य में |
जब निष्क्रीय होने लगता है
कहा जाता है वह मृत हो गया है
अब कभी चेतना नहीं जागेगी
जीवन भर ऐसे ही जीना होगा |
पर यदि चमत्कार हो जाए
वह फिर सचेत हो कर कुछ कार्य करे
ईश्वर की मेहरवानी हुई है उस पर
यही तो कहा जाता है |
यह सब भूल जाते हैं है तो वह एक मशीन ही
कब तक सक्रीय रहेगी कभी तो साथ छोड़ेगी
पर सच्चाई से दूर न हो कर स्वीकारना ही होगा
है यथार्थ यही जिससे मुख मोड़ रहे हैं |