07 अक्तूबर, 2020

मस्तिष्क



                                      हर हाल में मस्तिष्क सक्रीय रहता है

सुख़ से  हो या दुखी कभी निष्क्रीय नहीं होता

कोई बात उसे चिंतित नहीं करती

हर समय व्यस्त रहता है अपने कार्य में |

जब निष्क्रीय होने लगता है

कहा जाता है वह  मृत हो गया है

अब कभी चेतना नहीं जागेगी

जीवन भर ऐसे ही जीना होगा |

पर यदि चमत्कार हो जाए

वह फिर  सचेत हो कर कुछ कार्य करे

ईश्वर की मेहरवानी हुई है उस पर

यही तो कहा जाता है |

 यह सब भूल जाते हैं  है तो वह एक मशीन ही 

कब तक सक्रीय रहेगी कभी तो साथ छोड़ेगी 

पर सच्चाई से दूर न हो कर स्वीकारना ही होगा

 है यथार्थ यही जिससे मुख मोड़ रहे हैं |

06 अक्तूबर, 2020

कोयल की मीठी सी बोली

वाणी का माधुर्य

कानों में मधुर  रस घोले

है वही भाग्यशाली जो

उसका अनुभव  करे |

जितनी मिठास बोली में होगी

कभी अनुभव तो की होगी

उससे बंचित रहे यदि

बड़ी अनहोनी झेली  होगी |

मीठी मिश्री सी बोली

भाग्य की नियामत है

प्रभु की दी सौगात है

सब के नसीब में कहाँ |

आशा 

 

03 अक्तूबर, 2020

एक पथिक

 


हे क्लांत पथिक

क्यूँ छाँव देख

 विश्राम नहीं करते

है ऐसा क्या वहां

 क्यूँ  पहुँचाने की

 जल्दी है तुम्हें |

यह तक भूले

हो कितने परेशान

इस विपरीत मौसम में |

यदि बीमार पड़े

 तो कौन साथ देगा

तब कोई सहायता

 नहीं कर पाएगा |

तब पछतावा होगा

काश कहना

मान किया होता

यह दिन तो न

 देखना   पड़ता |

अभी तक खूब आगे

निकल गए  होते

गंतव्य के बहुत

 नजदीक  होते |

आशा     




01 अक्तूबर, 2020

सक्षम नारी आज की


 

 

                                     है परिष्कृत  मस्तिष्क तुम्हारा

किसी से कम नहीं हो

हर क्षेत्र में आगे बढी हो

है देश को गर्व तुम पर |

 किसा भी प्रकार का  कार्य हो

 तुमने  दक्षता से पूरा किया है

पूरी क्षमता से आगे बढी हो

पीछे मुड़ कर नहीं देखा है |

ना शब्द  तुम्हारे शब्द्कोश में नहीं है

हो लक्ष्मी बाई जैसी निडर बहादुर

हो नारी शक्ति की  प्रतीक

 हमें गर्व है तुम पर तुम्हारे जन्म पर

शायद ही कोई ऐसा कार्य हो

 जो तुमसे छूटा  हो

जब तक सफलता न मिल पाए

तुमने हार नहीं मानी है |

है यही विशेषता तुम्हारी

सभी का मन मोह रही है

सभी को गर्व है तुम पर

देश की नारी शक्ति पर |