12 जनवरी, 2021

गोद माँ की

 

                                माँ के आँचल की छाँव तले

 ममता भरी गोद में

जब पनाह मिलती है

बड़ा सुकून मिलता है |

धीरे  धीरे जब सर सहलाती है

एक अनोखी ऊर्जा का संचार  होता है

यही ऊर्जा जीने की ललक जगाती है

 क्षण भर  में ही सारी थकान 

दूर हो  जाती है |

अद्भुद स्नेह से हो तृप्त

जब गोदी से सर हटाता हूँ

 बड़ा सुकून मिलता है  मुझे

मन में होता स्नेह का  संचार सुखद |

काश स्नेह मई माँ का  प्यार ऐसा

सब के नसीब में होता

माँ की गोद की उष्मा

 बड़े भाग्य से  मिलती |

जो सुरक्षा वहां मिलती

उसकी कल्पना  बड़ी सुखदाई  होती

माँ की कभी कमी सदा खलती

होती  अनमोल माँ की गोद

उसकी कोई सानी  नहीं होती|

आशा

 

 

हुआ अनोखा एहसास मुझे

 



                                                   
हुआ अनोखा एहसास मुझे

                                                       यह कैसे हुआ क्या हुआ

                                                            मैं जानती कैसे

                                                   अब मुझे विचार करना होगा ।

जब आज तक न जान पाई

न जाने कब तक

इंत्जार रहेगा तुम्हारा

मैं कैसे जान पाती ।

मन का विश्वास

अभी खोया नहीं है

हैअसीम श्रद्धा प्रभू पर

यह तो याद है मुझे ।

अचानक ख्याल आया मुझे

पहले जब तुमसे मिली थी

एक बात का वादा किया था

वही रहा है नियामत मेरे लिये ।

आशा

 

पुस्तक

 


 

 आशा कैसी किस से करूं

 कोई तो अपना हो

कब तक आश्रित रहूंगी

 यह तक मालूम नहीं |

किताब भी मौन है

कुछ बोलती नहीं

न जाने कैसे नाराज हुई

यह भी मालूम नहीं |

यह कैसा अन्याय है

मेरे साथ ही ऐसा क्यूँ

अब तक समझ न पाई

पुस्तक से दूरी किस लिए |

आशा 
 


                  

11 जनवरी, 2021

कितना सताया है मुझे

 

 

 

 

 

 

 




 

 

 

 

 

 

 



 कितना सताया है  मुझे

इंतज़ार करके हारी

मेरी परीक्षा कब तक लोगे

मेरे श्याम बिहारी  |

घंटों   बैठी  बाट निहारती

तुम न आए गिरधारी

मैं सारे जग से ठगी गई

यह हुआ कैसे मैं जान न पाई |

अब जा कर सतर्क हुई हूँ

 जब से ठोकर खाई  है

दुनिया की रीत निराली है |

यहाँ स्थान रिक्त नहीं है

मुझ जैसे लोगों के लिए

 ना तो चालबाजी आई

ना ही लोका चार यहाँ का |

 मैंने किनारा कर लिया है

इस अजूबी दुनिया से

अब आपकी शरण में आई हूँ

अब तो  अपनालो मुझे |

आशा




09 जनवरी, 2021

आज मुझे यह कहने दो

 


आज मुझे यह कहने दो

कि मेरा सोच गलत नहीं था

नया परिवेश नया मकान

निभाना इतना सहज नहीं था 

फिर भी मैंने तालमेल  किया है

अब कोई समस्या  नहीं है ।

खाली घर और हम अकेले

करते तो  क्या करते

आने को हुए बाध्य

कैसे अकेले रह पाते वहाँ ।

 स्वास्थय ने भी किनारा किया

वह भी साथ न दे पाया

आखिर वक्त से सम्झौता किया

यहाँ आने का मन बनाया |

आशा

08 जनवरी, 2021

अनसुलझे प्रश्न

 कितने अनसुलझे प्रश्नों ने घर 

बना लिया है ह्रदय में 

अब तो स्थान ही नहीं बचा है 

अन्य प्रश्नों के लिए |

जब भी उत्तर खोजना चाहती हूँ 

खोजे नहीं मिलते 

बहुत बेचैनी होती है 

असफलता जब हाथ आती है |

पर फिर भी जुझारू रहती हूँ 

साहस से  दूर भागती नहीं 

कुछ तो सफलता मिल ही जाती है

आत्म शान्ति मिल जाती है || 

मन को सुख मिल जाता है 

फिर दो



                                                                दो गुने जोश से जुट जाती हूँ 

और प्रश्न हल करने में

सफलता का नशा

 मस्तिष्क पर छा जाता है  |

आशा 






02 जनवरी, 2021


     मुझे बहुत प्रसन्नता होरही है अपने  (बारहवा काव्य संकलन ) अपराजिता का कवर पेज आपसे सांझा कर के |