16 जून, 2021

स्वर्ग और नर्कहैं यहीं

 

  


स्वर्ग और नर्क

 दौनों ही

 दिखाई दे जाते

इसी कायनात में|

जब अपने किये

कार्यों का आकलन

 अंतर आत्मा की आवाज सुन  

 किया जाता | 

खुद अपना आकलन

 निष्प्रह हो कर

 किसी ने किया यदि

शीशे में दीखती खुद की छवि 

जैसा दिखाई देता आकलन  |

पर है आवश्यक

तटस्थ भाव से

 हो निर्णय निष्पक्ष

 किये  गए  आकलन पर |

 खोजा जा सकता है

इसी दुनिया में

स्वर्ग और नर्क

अपने आसपास यहीं  |

हर किये गए

 कर्म का फल

यहीं मिलता है

है यहीं स्वर्ग

और नर्क यहीं |

आशा

15 जून, 2021

मेरी आँखों में बसी है


 

 मेरी आँखों में बसी 

तेरी मनमोहनी सूरत

कितनी भोलीभाली

मासूम सी दीखती |

क्या मन भी तेरा

है वैसा ही कोमल

सीरत है मीठी सी

आनन पर भाव स्पष्ट दीखते |

बदन तेरा नाजुक

खिलती  कली सा है

निगाहें नहीं ठहरतीं

अभिनव सौन्दर्य पर  |

यह सौगात मिली कहाँ से

 ईश्वर की कृपा द्रष्टि रही

क्या तुझ पर ?

या कोई पुन्य कार्य किये थे

पूर्व जन्म में जो यह

पुरस्कार मिला बदले में |

तनिक भी गरूर नहीं  

है सौम्य सुशील सुघड़

तेरे इन  गुणों  पर

 है न्योछावर मेरा मन |

14 जून, 2021

हाइकु


 

१-उलझा मन

आज का परिवेश

देखता रहा

 

२-किसने कहा

 वहां न जाना होगा

हर हाल में

 

३-बीता नहीं है

कोविद काल हुआ

भयावह है

 

४-हैं वन्दनीय

प्रयत्न हैं तुम्हारे

प्रशंसनीय


5-किसने कहा 
प्यार एक तरफा 
होता कठिन 



13 जून, 2021

परीक्षा सब्र की


 

ना लीजिये परीक्षा मेरे सब्र की

आपने मुझे अभी परखा नहीं है

जब मेरे बारे में सोचेंगे मुझे समझेंगे

खुद ही जान जाएंगे मैं  क्या हूँ |

यह तो  अपना अपना नजरिया है

मंतव्य स्पष्ट करे न करे

कोई जोर जबरदस्ती नहीं है

खुद का  विचार भी हो अन्यों जेसा |

मुझे सुहाता स्पष्ट दिया गया मत  

किसी के विचारों से प्रेरित  न हो

स्वनिर्णय पर  अटल रहना चाहती

अन्यों से  प्रभावित हो अपने विचार नहीं देती |

अपना व्यक्तित्व मुझे प्रिय है

 स्वतंत्र हैं विचार मेरे किसी से प्रभावित नहीं

जब अन्य कोई ध्यान देता मेरे विचारों पर

 खुश होता मेरे सोच  के दायरों पर |

आशा 


आशा

11 जून, 2021

यदि बरखा न आई


 


  बढ़ेगी  उमस बेचैनी होगी 

    यदि मौसम विभाग सफल न हुआ    

आने वाले मौसम की

जानकारी देने में |

अब तक न आए बदरा

 काले कजराते  जल से भरे

तेज वायु बेग  उड़ा ले चला  

दूसरी दिशा में उन्हें  |  

  इस बार भी यदि 

 वर्षा कम  होगी

                 लोग तरसेंगे भटकेंगे यहाँ वहां  

कैसे कमी सहन करेंगे

खेती  सूख जाएंगी

 दाम बढ़ेंगे दलहन के |

हे परम पिता परमात्मा  

 कैसा है  न्याय तुम्हारा

क्या तुम्हें दया

 नहीं आती तनिक भी  

 आम आदमियों की

जल की आवश्यकताओं पर |  

प्रभु तुम क्यूँ ध्यान रखोगे

 इतनी छोटी बातों का

तुम्हें तो समय नहीं होगा ना  

क्यूँ कि बड़ी समस्याओं में उलझे हो |

बाढ़ तूफान से कैसे हो  निपटारा

शायद हो इसी  सोच में व्यस्त

कभी आम आदमी पर भी

 रहमोंकरम करो |

 तभी याद तुम्हारी आएगी उनको

हाथ जोड़ कर साष्टांग

 झुक कर तुम्हें  प्रणाम  करेंगे

तुम्हारे गुणगान से पीछे न हटेंगे |

आशा

  

07 जून, 2021

है मेरी उलझन

 

तुम्हारा प्यार

 दुलार  कमतर

किसी से  हो

मैं सह नहीं पाती  

तुमसे आगे

निकल जाए कोई

 कहर ढाए

मुझे   स्वीकार नहीं

है मेरा प्यार

बहुत अनमोल

किसी से बाटा  जाए

सहन नहीं

हूँ बहुत कंजूस

तुम्हें भान है

है मेरी उलझन 

                          तुम जान लो 

                         मुझे पहचान लो  |

                             आशा   






06 जून, 2021

जिन्दगी चली ट्रेन सी


 

जिन्दगी  चली  ट्रेन सी  

  पटरियों पर जैसे ट्रेन चली 

कभी चलती सरपट

तो कभी रुक जाती स्टेशन पर |

चाय वाले की आवाज सुनाई देती

कभी आज की ताजा खबर

सुनाने को बेचैन अखवार वाले का

 स्वर मुखर होता |

तभी धीरे से एक  स्टेशन से

अगले पर जाने को

 खिसकती ट्रेन सी जिन्दगी

गति पकड़ती |

स्टेशन से आगे जाने के लिए

कुछ कर्तव्य निभाने के लिए

जहां तक संभव हो कोई कार्य अधूरा

 नहीं छोड़ना चाहती जिन्दगी |

एक समय ऐसा आता

अंतिम स्टेशन पर  पहुँच कर

 थम जाती जिन्दगी रुकी ट्रेन की तरह

 है कमाल की जिन्दगी |

कितने भी व्यवधान आएं

आगे बढ़ती जाती

 गंतव्य तक पहुँच कर ही 

 दम लेती जिन्दगी |

आशा