स्वर्ग और नर्क
दौनों
ही
दिखाई दे जाते
इसी कायनात में|
जब अपने किये
कार्यों का आकलन
अंतर आत्मा की आवाज सुन
किया जाता |
खुद अपना आकलन
निष्प्रह हो कर
किसी ने किया यदि
शीशे में दीखती खुद की छवि
जैसा दिखाई देता
आकलन |
पर है आवश्यक
तटस्थ भाव से
हो निर्णय निष्पक्ष
किये
गए आकलन पर |
खोजा जा सकता है
इसी दुनिया में
स्वर्ग और नर्क
अपने आसपास यहीं |
हर किये गए
कर्म का फल
यहीं मिलता है
है यहीं स्वर्ग
और नर्क यहीं |
आशा