27 जुलाई, 2021

सही यह निर्णय


                                                                                                                  सही 
यह निर्णय  

कहा  तुमने 

यह सही नहीं  है

गलत सही 

कैसे जान पाओगे 

पहले उसे  

फिर जान लो मुझे 

पहचान लो

परिचय  महंगा  

  छलावे जैसा 

कुछ लाभ न देगा

  हानि लाभ  तो 

जाने अनजाने में

होने लगेंगे 

जब तक सतर्क

नहीं रहोगे

तुम्हारी होगी हानि  

 अनावश्यक  

सतही संबंधों से

जुड़े रहना

 उससे बंध कर

जब रहोगे 

कैसे बच पाओगे 

 हो के तटस्थ 

 निर्णय कैसे  लोगे |

आशा  

हाइकु


कविता कैसी

मन को छू न पाई

कैसे पढ लूं


हम न माने

हैं जाने पहचाने 

लोग यहाँ के


पारद जैसे

हैं कभी यहाँ वहां

रहे गुडक


यह प्यार है

कुछ और नहीं है

कैसे समझा


मन भागता

कर्तव्यों से बचने 

मालूम नहीं


आशा न थी

कि तुम आ जाओगे

 परखने को 

आशा 

https://static.xx.fbcdn.net/rsrc.php/v3/ym/r/yO9BVSOo4qE.png

  · 

 

 


26 जुलाई, 2021

दो पक्षी


                                                                 
                        दो  पक्षी होकर दीवाने 

चौंच से चौंच लड़ाते

क्या क्या बातें करते होंगे 

वही जानते  |

आपस में प्यार जताते

  समझते समझाते

इशारों  को  हम खुद ही

जानने  की कोशिश करते |

बड़े प्यारे लगते वे

और उनकी स्वर लहरी

जब पंख फैला कर

 नीलाम्बर  में उड़ते |

कभी घोंसले में बैठे

बच्चों  से  बतियाते होंगे

भविष्य की योजनाएं  बना रहे  होंगे

 यही ख्याल आया  मन में |

उनसे ली एक शिक्षा

जिन्दगी को बोझ न समझो

चाहे मौसम हो  कैसा भी

 चहकते रहो खुश हो  |

आशा

 

 

25 जुलाई, 2021

प्रभु से मिली नियामत है


प्रभु से मिली  नियामत है

 भार नहीं   यह जिन्दगी  

है  झूलना इसे  जाने कब तक

 आशा निराशा के झूले में 

 लिए  मुस्कान चहरे पर |

कितनी भी कठिनाई हो

साहस  नहीं  खोना है

आँखों में  अश्रु सूख गए

 फिर भी रोना है |

जीवन का है  सत्य यही

किसी से छिपा नहीं है

हर बार की तरह इसे भी  

सपनों में  सजाना है |

  स्वप्न में और कल्पनाओं में

जीने का आनंद  है  कुछ और

 जो सच में है ही  नहीं

 उसे साकार  कराना है |

देखे कई  उतार चढ़ाव

  जीवन के समुन्दर   में

खेले खाए  हँसे हँसाए  रोए गाए

सभी इसी जीवन  में  |

आशा 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 आशा

24 जुलाई, 2021

चंचल हुआ


                                                                           
                                मनमोहिनी 

             देखी कंचन काया

आकृष्ट हुआ   

मन की आवाज  ने   

 उकसा कर  

हाल बेहाल किया  

किसी से पूंछा

ये पुष्प है कहाँ का

उत्तर आया

इस जहां का नहीं

चंचल हुआ   

किसी ने दी दस्तक

दरवाजे पे

पहचान हो गई

बरसों बाद

यूँही बैठे धूप में

जानना चाहा

कब मिले थे

वह भी भूली न थी

कहने लगी

जब से  देखा तभी

उत्तर सुन  

 मन  चंचल हुआ 

आशा

 

23 जुलाई, 2021

खोज सच्चे गुरू की


एक गुरू ऐसा चाहिए
कुछ सीखने के लिए
बिना ज्ञान मुक्ति नहीं होती
कहा हमारे बुजुर्गों ने |
पर गुरु कैसा हो
कितना गहराई में हो ज्ञान की
खोजना सरल नहीं
जिनने पाया सद्गुरू भाग्य के हैं धनी वही |
आज यही खोज होती कठिन
जाने कितने लोग लगाए बैठे हैं मुखौटा
अपने चहरे पर गुरू का
नाम डुबो रहे गुरू की महिमा का |
सब कुछ मिल जाता है
पर सच्चा गुरू नहीं मिलता सरलता से
जो मिलते हैं वे सद्गुरु नहीं
अधिकाँश हैं छलावा आज के परिवेश में |
अन्धविश्वासी न हो कर
गुरूदीक्षा लीजिए
गहन मनन कर के
खूब जान परख कर |
नमन उन सब गुरुओं को
जो सच्चाई का दामन थामें
उचित मार्ग दर्शन करते
देते हैं सही शिक्षा |
आशा


नया अंदाज



 



है चाँद सा मुखड़ा

चमक ऐसी

 चाँद आया  धरा पे   

 दीखती ऎसी

 खिले कमल जैसी

 सुडौल अप्सरा सी

कंचन देह

खंजन से  नयन

दृष्टि फिसली 

चहरे पर आव ऎसी  

न थमी दृष्टि   

 किया ऐसा सिंगार

चमका दिया 

चेहरा चांदनी सा 

आया निखार 

 नूरानी चहरे पे 

सजी  बालिका

नया  सा  अंदाज है | 

आशा