01 अप्रैल, 2022
समंदर
31 मार्च, 2022
परछांई
भरी धूप में
सूर्य की गर्मीं सर पर
तुम्हारी परछाईं चलती
कदमों में तुम्हारे
जैसे ही आदित्य आगे बढ़ता
पर साथ कभी ना छोड़ती
शाम को वह भी घर आती साथ तुम्हारे
तुम सोते वह भी सो जाती
तुम में विलीन हो जाती |
काश मैं तुम्हारी परछाईं बन पाती
अपने भाग्य को सराहती
तुम्हें अपने करीब पा कर
सभी ईर्ष्या करते मेरे भाग्य से |
मुझे है पसंद रहना करीब तुम्हारे
परछाईं बन कर साथ रहना तुम्हारे
कम ही लोग होते इतने भाग्यशाली
तुमसे जुड़े रहते साथ जन्म जन्मान्तर तक|
आशा
30 मार्च, 2022
हाल मेरे मन का
मेरा मन चंचल पारद जैसा
कभी स्थिर नहीं रहता
सदा थिरकता रहता
रखता सदा व्यस्त खुद को |
कभी इधर उधर झांकता नहीं
चाहता कुछ ऐसा करना
जो किसी ने किया न हो
हो नया चमकता पारे सा |
हूँ प्रयत्नरत उसे चुनने में
खुद की छवि चमकाने में
खुद को पारद सा
उपयोगी बनाने में |
अनगिनत गुण दिखाई देते पारद में
वह पूजा जाता पारद प्रतिमा बना कर
सुन्दर सा शिवलिंग बना कर पुष्पों से
बहुत उपयोगी होता दवाइयों में|
पर बुराई भी कम नहीं उसमें
स्थिरता नहीं उसमें यहाँ वहां थिरकता
भूल से यदि खा लिया जाता
भव सागर से मुक्ति की राह दिखाता
यही बुराई दिखी मुझे इसमें |
खुद की कमियाँ
मुझे भी दिखाई देती है
पर दूरी उनसे बनी रहे
यही कामना करती हूँ |
मेरा मन स्थिर हो जाए अगर
मुझे सफलता मिल जाएगी
हर उस कार्य में
जिसकी तमन्ना है मुझे |
मन की एकाग्रता है आवश्यक
चंचलता नहीं पारद जैसी
गुण उसके हैं अद्भुद
उन जैसी चाह है मेरी |
मैं किसी की निगाहों में
गिरना नहीं चाहती
कर्तव्यों का ख्याल रख पाऊँ
ऐसा विचार रखती हूँ |
आशा
29 मार्च, 2022
यह एक बहाना हो गया
यह तो उसे न खोज पाने का
एक बहाना हो गया
अतिव्यस्त हूँ
कहने को हो गया|
ख्याल तक नहीं
आया उसका
जिससे मिले
ज़माना हो गया |
तुमने अपने मन में
झांकने की
कोशिश तो की होती
भले ही कुछ न दिखा
अंघकार के सिवाय|
यही सच था जिसका
तुम्हें ख्याल नहीं आया |
यह भी नहीं जानना चाहा
यही एक और
उसे खोज न पाने का
बहाना हो गया |
कई पत्र लिखे लिख कर फाड़े
पर जाने कहाँ पता खो गया
गली में घूम घूम कर चक्कर लगाए
सीटियाँ भी खूब बजाईं
पर वह जाने कहाँ खो गई
लौट कर न आ पाई |
ना मिलने के सत्तरह बहाने होते
एक यह भी बहाना हो गया
तुम ही न आईं प्रयत्न मेरा
यूँ ही निष्फल हो गया |
आशा
चाह मेरी
हो स्याही काजल सी काली
या हो लाल रक्त सी
दिल का कागज़ कोरा न रहेगा
कुछ तो लिखा ही जाएगा |
जो मन को भाएगा
जिसमें भावनाओं का रंग होगा
दिलों का मिलन होगा
शब्दों का
संगम होगा |
प्यार की खुशबू होगी
महफिल में तालियाँ बजेंगी
हौसला
अफजाई होगी
मेरी आवाज
की गूँज होगी |
शायद मुझे गलतफहमी हुई है
कि मैं एक सफल कलाकार हूँ
या है चाह मेरी उड़ने की नीलाम्बर में
किसको पता है चाह कब पूर्ण होगी |
आशा
27 मार्च, 2022
मोहब्बत किससे
मोहब्बत करूं तुमसे
या तुम्हारी अदाओं से
इस दिखावे भरी दुनिया से
या कि अपने आप से |
अभी निर्धारित कर न पाई
जब से जीवन में बहार आई
कुछ सोचा कुछ समझा
सबसे सरल सबसे सहज
अपनी ओर झुकाव
लगने लगा मुझे
फिर सोचा शायद यह
खुदगरजी तो नहीं |
फिर विचारा मोहब्बत तुमसे
कोई छलावा न हो
या दुनिया का कोई
दिखावा न हो |
बिना सोचे समझे
कूदना इस क्षेत्र में
क्या ठीक होगा ?
तैरना आता नहीं
पार उतरने का स्वप्न
मन में पालना