18 फ़रवरी, 2023

एक कहानी महादेव भगवान की




एक शिकारी था वह रोजजंगल में शिकार करने जाता |आज उसे कोई शिकार नहीं मिला वह बहुत उदास हो गया 

बहुत थक गया था इस लिए आराम के लिए एक पेड़ पर चढ़ गया |पर उदासी ने इतना घेरा कि उसके आंसूं बहने लगे और वे नीचे बनी महादेव जी के ऊपर टपकने लगे |अचानक उसने  पत्ती तोड़ होगी शुरू की और नीचे पिंड पर गिरने लगीं |

महादेव जी तो भोले भंडारी हैं |उनको लगा कि वह हरे बेल पत्र चढा रहा है और जलचढा रहा है|शिव जी बहुत जल्दी से प्रगट हुए और बिना किसी से मांगे उसको वर दिया कि जो चाहेगा उसकी  मनोकामना पूरी होगी |

शिकारी खुशी ख़ुशी अपने घर चल दिया और रोज सुबहभगवान् शिव जी का पूजन करने लगा |और बेलपत्र चढाने लगा |उसका जीवन बहुत शान्ति से बीत गया | इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि प्रति दिन ईश्वर की पूजन करना चाहिए |

आशा सक्सेना 

17 फ़रवरी, 2023

हमारा राष्ट्र धर्म सब से प्यारा हमें


                                                          हमारा राष्ट्र धर्म सबसे प्यारा हमें 

हम उस पर न्योछावर जी जान से 

कितने धर्मों को हम मानते समभाव रखते 

पर राष्ट्र धर्म है विशिष्टऔर प्रिय हमें |

हमने मनाया अमृत महोत्साब धूमधाम से 

बड़े उत्साह से किसी कमीं को न होने दिया 

सब देशों ने सराहा भारत का सर ऊंचा किया 

भारत का शीश ऊंचा हुआ समरद्ध देशों मेंसे|

यही हमारा उद्देश्य था और आज भी है 

हैं देश के रखवाले सीमा के रक्षक हम 

हमें गर्व है अपनी पसंदके कार्य  पर 

जो हम चाहते थे देश हित के लिए करना 

आशा सक्सेना 

16 फ़रवरी, 2023

सुबह का भजन

 

सुबह उठो भजन करो

सीता राम राधे श्याम जपा करो 

ईश्वर कभी तो सुनेगा

अरदास तुम्हारी  

सुबह तेरी प्रार्थना पर 

कभी तो ध्यान देगा |

वह है सब का रखवाला 

जब उसकी दृष्टि पड़ेगी 

कभी तो ध्यान देगा  

यही है विशेषता उसकी 

किसी को कष्ट न देगा

है विशेषता उसकी 

दर से  खाली हाथ नजाने देगा |

वह सच्चों का मददगार

 दुखियों का तारणहार है

वह सुनहरे स्वप्न दिखाता

भगतों को कष्ट न देता

जितनी भी कोशिश करोगे

 मीठे फल पाओगे

कभी ना हारोगे

ईश्वर ने सदा साथ दिया तुम्हारा

 हर समय देखता रहता 

ख्याल हर पल रखता तुम्हारा 

तुम पर भी विश्वास अटूट 

किसी पर से विश्वास यदि हटा 

तुम भी टूट जाओगे

अपनों से नजर

 न मिला पाओगे |

आशा सक्सेना

15 फ़रवरी, 2023

मर्यादा में कैसे रहें


 कभी दिन  रात मुझे लुभाते

खीचते मुझे अपनी ओर

मेरा मन भयभीत होता

मैं जान ना पाती क्या करती |

मुझमें सही गलत जानने का सलीका  

नहीं था हर बात से निपटने का

कोशिश भी की पर असफल रही

अपने को असफल जान रोना रोया  |

एक बुजुर्ग ने मुझे समझाया बुझाया    

 बचकानी हरकत को गुनाह करार दिया

तब मैंने अपना आत्म मंथन किया 

अपनी भूल को समझा स्वीकारा

शर्म से पानी पानी हुई

 जिद्द ना करने की कसम खाई |

बुजुर्गों के सामने कैसे रहना

ढंग से रहने का मन बनाया

मैने अपने मन को समझाया

हर बात को ध्यान से समझा |

सब बड़ों का कहना माना जाए

किसी से बहस ना की जाए

खुद को मर्यादा में रखा जाए

यही शिक्षा आज के किस्से से ली मैंने  |

आशा सक्सेना 

14 फ़रवरी, 2023

हाईकू



१-सोना व चांदी 

बहुत कीमती हैं 

जेवर बने 

२- हर धातु का 

अपना महत्व है 

वेश कीमती 

३-जो चमकता 

वो आकर्षक होता 

असली नहीं 

४- बड़ी मंहगी 
 किसी ने ना समझा 

फैक दिया है 

५- मंहगा  सस्ता 

जान पाया उसने 
पहचाना है 

आशा सक्सेना 

वेलेंटाइन डे

 

   


जाने क्यों आज सुबह से ही गली में चहलपहल थी |बड़ी जल्दी सब लड़के लड़कियां सज गए  थे |कहाँ तो माँ  जगा जगा  कर थक जाती थीं पर यही कह कर सो जाते थे अभी थोड़ा और सो लूं |

फिर से चादर ओढ़ कर सो जाते |पर आज उसने अलमारी  खोली और ऊपर से लाल गुलाब के फूल की एक डाली निकाली उसे सम्हाल कर अपने नेपकिन में छिपाया और गेट पर आ गया |उसने आवाज दी निन्नी को और बाहर आगया |

निन्नी तो इन्तजार ही कर रही थी |वह चटपट बाहर आईऔर बाउंड्री के बाहर हाथ से गुलाब लिया |

और धीमी आवाज में सुना “ हैप्पी वेलेंटाइन डे |क्या तुम मेरी वेलेंटाइन बनोगी” |

निन्नी ने शर्मा कर अपना मुंह हाथ से छिपा लिया |यह सब नजारा रज्जू की माँ दूसरी खिड़की से देख रहीं थीं| रज्जू ने जब मां को देखा वह  जल्दी से सड़क पर निकल  गया |

आशा सक्सेना 

13 फ़रवरी, 2023

एक सिक्के के दो पहलू हैं

  

एक सिक्के के दो पहलू हैं  

दोनो बहुत कुछ बोलते है

कहने को बड़े सजग हैं

अपने शब्दों को तोलते हैं |

यदि जानना चाहते हो कारण

 किसी से उलझने का या

कोई उलझा हो अपने आप में

सिक्का उछालते है |

चित है या पट मन में सोच लेते हैं

मन में विचार कर उत्तर भी जान पाते हैं

कितने ही लोग इसे सत्य मानते हैं

 चित पट के विश्वास पर भरोसा करते हैं|

पहले मैंने सोचा इसको भरम समझूं या नहीं

फिर सोचा शायद मै गलत हूँ पर कैसे

मन को विश्वास आए कैसे

यही सच कैसे उजागर हो |

 इसी सच को खोज पाऊँगी या नहीं

जब उसके पास पहुंच पाऊँगी

अपने को सफल पाऊँगी

बहुत खुश हो जाऊंगी |

आशा सक्सेना