12 मार्च, 2023

रंग रंगीली होली

   

रंग रंगीली होली आई  रे 

किया सारे साल इंतज़ार  होली का 

काफी दिन पहले से 

घर की सफाई की 

 मिठाई बनाई |

 खेला रंग मित्रों के संग 

श्याम पड़े होली जुलाई

 हिल मिल मिठाई खाई 

आपस का भेदभाव भूले

गले मिले बैर भूले 

मन में कोई कटुता नही रही 

यही है विशेषता इस त्यौहार की 

वर्ष में एक बार ही ऐसा त्यौहार आता है 

जब जाति धर्म का भेद नहीं होता

सिर्फ बड़े छोटे का ही अंतर होता है  

छोटे सब बड़ों के पैर छूते 

बड़े आशीष देते और बहुत खुश होते |


आशा सक्सेना 


11 मार्च, 2023

आज के परिपेक्ष में

जब जाना आज का परिपेक्ष 

सम्हल सम्हल कर कदम रखे

किसी से हो कर सतर्क

 सावधानी नहीं भूलोगे 

 किसी को अपना समझ कर

हर बात  सांझा की हर बात बताई सहज मे

जब राज  उजागर हुए मन में खटास आई |

किसी को कह ना सका उसे अपना

हुए सब गैर कोई अपना ना हुआ

गैर समझा उसको

 अपने भी हुए गैर |

चन्द बातो पर उसका रुखदेख 

देख मन उलझा मेरा

एक बात समझ में आई देखो

अपना ना समझों पहले देखो उसे बरतो|

 यदि परख लिया हो ठीक से

आगे पैर बढ़ाओ

यदि गलत राह नहीं खोजोगे 

बड़ों की बात मानोंगे 

पैर गलत नहीं पड़ेगे

तुम अकेले नहीं रहोगे 

सब का साथ लेकर जब चलोगे |

आशा सक्सेना

 


10 मार्च, 2023

अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस

महिलाओं ने प्रगति की अपार 

कोई क्षेत्र ना छोड़ा 

अपने पैर जमाने को 

हुई सफल हर क्षेत्र में |

यही योग्यता पहले

ना जानी किसी ने 

घर बाहर हर क्षेत्र में

सबने  सराहा उन्हें  |

पहले ना समझी

उनकी योग्यता 

को जब परखा

जितनी भी तारीफ की जाए 

शब्द भी कम पड़ते

उनकी  प्रशंसा के लिए|

सारे संसार में सभी जगह

कहाँ नहीं दीखता उनका वजूद

यही तो योग्यता है उनकी 

उन्हें सराहा जाता|

तभी अन्तराष्ट्रीय  महिला दिवस  

मनाया जाता धूमधाम से 

हर वर्ष मनाया जाता 

अंदर बाहर दौनों क्षेत्रों में

कभी पुरूस्कार भी दिए जाते

शानदार कार्यों के लिए|



 

आशा सक्सेना 

09 मार्च, 2023

मन ने समझाया








                                                                आज जब गीत गाए 

महफिल में सपने सजाए 

मन ने आत्म सात किये 

यही कहा  सबने  

यह कैसी रीत अपनाई |

गैरों को अपनाया मन से 

अपनों से दूरी बढ़ाई

आखिर क्या सोचा मन में

कविता किसने दी सलाह कैसी 

मेरी  समझ ना आई

कविता में सब को अपनाया 

\मेरे  से कोसों दूर रहे 

कभी मन से कारण सोचा होता 

यदि समझ लिया होता मुझको 

दूरी नजदीकियों में  बदल जाती

पूरी जब ये होतीं  

मन को ख़ुशी मिलती

और नजदीकिया रंग लातीं

प्यार में बदल जातीं|

आशा सक्सेना 

08 मार्च, 2023

होली आईरे


१-हम खेलते 

अवीर गुलाल से 

साजन संग 


रंग खेलते 

राधा बरसाने से 

कान्हां के संग |


३-भगत खेले 

राधारानी के संग 

फूलों के संग 


४-चंचल राधा 

कान्हां से अधिक ही 

रुकमणी से 

सबने खेली 

अबीर  गुलाल से 

|आज होली है 

05 मार्च, 2023

सोचो समझो

 


सोचो समझो फूँक फूंक कर कदम रखो

कहीं राह ना भटक जाना

यदि भूले से राह भटके खोज ना पाओगे

अपने को बहुत दुखी पाओगे  |

राह है कठिन कंटकों से भरी

कच्ची सड़क ऊबड़ खाबड़ है

चौपायों को चराते  यहाँ  वहां

यदि  उन में फंसे कष्ट पाओगे|

मुझे तो अभ्यास हो गया है

गाँव में रहने का सब से मिल जुल कर 

कुए से पानी भर कर लाने का

हाथों से सब कार्य करने का  |

अब आदत हो गई है यहाँ रहने की 

मन में  बस गया है गाँव में रहना

यहाँ के सारे काम काज में रुची रखना

सब से मिलना जुलना |

खुद को अलग नहीं समझना

यही जीवन है यहाँ का 

ना कभी हम बदले ना भेद भाव किया 

 यहाँ के लोगों से देशी भाषा सीखी |

सीखे रीति रिवाज यहाँ के लोगों से 

लोग यहाँ  के कहते हमें अपना 

यही तो यश पाया है हमने यहाँ 

किसी ने हमें अपना तो कहा |


 आशा सक्सेना 

थी कितनी प्रसन्न

हुई उदास सडकों की हालत देख 

               जब बीते दिनों की याद आई               

वे दिन भी कितने प्यारे थे 

कभी भुलाए नहीं भूलते |

अब हुआ उसे एहसास

मन करता है फिर से

 बच्चा बन जाए मन मानी करे 

किसी का कहा अनसुना करे   |

किसी की सीख से ज्ञान ले 

फिर भी सही गलत का भेद ना समझे 

खुश थी दलदल में खिला पुष्प देख 

 कमल  का फूल तोड़ कर  ||

फूल था दूर पंक से पंक में रह कर 

सुन्दर सी चमक लिए 

दिखता कितना प्यारा  

जब सजाता झंडे पर |


आशा सक्सेना