जेल की कोठरी में
सलाखों के पीछे से
सींकचों को थामे
सूनी सूनी आँखों से
वह ताक रहा था कहीं शून्य में
था उदास थका हुआ सा
झाँक रहा था अपने मन में
बार बार वह दृश्य भयावह
उसके समक्ष आ जाता था
सिहरन सी होती थी मन में
मन को कचोटती थीं बातें
एक बड़ी भूल की थी उसने
जो साथ दिया ऐसे लोगों का
वे तो बच कर निकल गए
ह्त्या के आरोप में
उसे फंसा कर चले गए
वह तो केवल वहाँ खड़ा था
बीच बचाव कर रहा था
फिर क्यूँ किसी का साथ पा न सका
बाहर जेल के आ न सका
पत्नी भी भयभीत बहुत थी
हिचकी भर भर रोती थी
बच्चे बाहर जा नहीँ सकते
क्यूँ कि वे कहलाते हत्यारे के बच्चे
जाने कब तक केस चलेगा
क्या ईश्वर भी रक्षा न करेगा
अब तो घुट घुट कर मरना है
अन्य कैदियों की हरकतों से
रोज ही दो चार होना है
कुछ कैदी शांत रहते हैं
पर कुछ असयंत व्यवहार करते हैं
जब भी कोर्ट जाना पड़ता है
नफरत से लोग देखते हैं
सब देख बहुत बैचेनी होती है
वकीलों के चक्कर काट काट
सर से छत भी छिन गई है
अब पत्नि और बच्चे रहते हें
एक किराए की झोंपड़ी में
समाज सेवा का भूत
उतर गया है अब सर से
एक ही बात याद आती है
ना हो साथ ऐसे लोगों का
जो समाज सेवा का दम तो भरते हैं
पर मन में कपट रखते हैं
अपना मतलब हल करने के लिए
चाहे जिसे फँसा सकते हैं
किसी भी हद तक जा सकते हैं |
आशा
,
सलाखों के पीछे से
सींकचों को थामे
सूनी सूनी आँखों से
वह ताक रहा था कहीं शून्य में
था उदास थका हुआ सा
झाँक रहा था अपने मन में
बार बार वह दृश्य भयावह
उसके समक्ष आ जाता था
सिहरन सी होती थी मन में
मन को कचोटती थीं बातें
एक बड़ी भूल की थी उसने
जो साथ दिया ऐसे लोगों का
वे तो बच कर निकल गए
ह्त्या के आरोप में
उसे फंसा कर चले गए
वह तो केवल वहाँ खड़ा था
बीच बचाव कर रहा था
फिर क्यूँ किसी का साथ पा न सका
बाहर जेल के आ न सका
पत्नी भी भयभीत बहुत थी
हिचकी भर भर रोती थी
बच्चे बाहर जा नहीँ सकते
क्यूँ कि वे कहलाते हत्यारे के बच्चे
जाने कब तक केस चलेगा
क्या ईश्वर भी रक्षा न करेगा
अब तो घुट घुट कर मरना है
अन्य कैदियों की हरकतों से
रोज ही दो चार होना है
कुछ कैदी शांत रहते हैं
पर कुछ असयंत व्यवहार करते हैं
जब भी कोर्ट जाना पड़ता है
नफरत से लोग देखते हैं
सब देख बहुत बैचेनी होती है
वकीलों के चक्कर काट काट
सर से छत भी छिन गई है
अब पत्नि और बच्चे रहते हें
एक किराए की झोंपड़ी में
समाज सेवा का भूत
उतर गया है अब सर से
एक ही बात याद आती है
ना हो साथ ऐसे लोगों का
जो समाज सेवा का दम तो भरते हैं
पर मन में कपट रखते हैं
अपना मतलब हल करने के लिए
चाहे जिसे फँसा सकते हैं
किसी भी हद तक जा सकते हैं |
आशा
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